अपने मित्र को उत्तरदायित्व समझने की प्रेरणा देते हुए।

277 मॉडल टाउन 

करनाल 

10 दिसंबर 20...... 

प्रिय सुमित,

सस्नेह नमस्ते! आशा है तुम कुशलपूर्वक होगे। कल मंदिर में तुम्हारी माता जी मिली थीं। उनकी बातें सुनकर मन भर आया। पता तुम पर गुस्सा भी आया। तुम अच्छी तरह जानते हो कि पिता जी के गुजर जाने के बाद तुम्हारी माँ रात-दिन मेहनत करके तुम्हें पैसे भेजती हैं जिससे तुम अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सको। वे तुम्हें सफल और सखी देखना चाहती है। चाचा जी के पास तुम्हें दिल्ली पढ़ने भेजने के पीछे भी उनकी यही कामना थी कि वहाँ तुम अच्छे पब्लिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर सको। कौन माँ अपने इकलौते पुत्र को आँखों से दूर करना चाहती है? चाचा जी से जब उन्हें यह ज्ञात हआ कि अपने मित्रों के साथ तुम अधिकांश समय आवारागर्दी में बिता देते हो तब उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने मुझसे कोई शिकायत नहीं की केवल आँखों में आँसू भरकर प्रार्थना की कि मैं तुम्हें समझाऊँ। वे समझती हैं कि तुम मेरे सबसे प्रिय मित्र रहे हो इसलिए मेरी बात अवश्य मानोगे। 

प्रिय सुमित, मैं तुम्हें पिछले सात सालों से जानता हूँ। तुम अत्यधिक मेधावी और सरल स्वभाव के हो। वहाँ कुसंगति में फँसकर अपना और अपनी दुखिया माँ का भविष्य मत बिगाड़ो। माँ के खून-पसीने और आँसुओं की कीमत को समझो। 

मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम मेरी बातों को समझकर पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू कर दोगे। मैं 25 दिसंबर की प्रतीक्षा कर रहा हूँ जब छुट्टियों में तुम यहाँ आओगे। 

शुभकामनाओं सहित 

तुम्हारा मित्र 

राकेश