पुत्र के विवाह पर मित्र को आने का निमंत्रण देते हुए। 

121, ब्लॉक डी 

साकेत 

नई दिल्ली 

12 अप्रैल 2014 

प्रिय मित्र राकेश, 

सस्नेह नमस्कार! आशा है तुम सब सकुशल होंगे। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि प्रिय शैलेश की शादी नरेश जी की सुपुत्री कामिनी से तय हो गई है। विवाह की तिथि 6 मई है। पत्र के साथ कार्ड भेज रहा हूँ। तुम्हें यहाँ कम से कम एक हफ्ते पहले आना है। आरक्षण करवाकर मुझे सूचना दे देना, मैं स्टेशन पर आ जाऊँगा। तुमने बचपन में शैलू को अपने गोद में खिलाया है। मामा जी ने तो उसे सदैव पुत्रवत माना है। दीनू के लिए वे कुछ लाएँ और शैलू के लिए न लाएँ ऐसा कभी हुआ ही नहीं। उनकी लोरी, प्यार, डाँट शैलू को आजतक सब याद है। यदि आने में कोई कष्ट हो तो शैलू स्वयं तुम्हें लेने आ जाएगा। मामा जी के गीतों के बिना विवाह की रौनक कैसे होगी। तुम लोगों के पहले आ जाने से विवाह के कामों में तुम्हारी सलाह और सहारा रहेगा। 

नेहा और शैलू आप दोनों को विशेष रूप से आमंत्रण दे रहे हैं। दीनू को बँगलौर के पते पर पत्र और निमंत्रण का कार्ड भेज दिया है। 

पत्र का उत्तर और आने की सूचना जल्दी देना। 

शुभकामनाओं सहित 

तुम्हारा मित्र 

शिव