अपनी सखी को विदेश जाने पर मंगलकामना व्यक्त करते हुए। 

2824 हनुमंत सहाय गली 

किनारी बाजार, 

चाँदनी चौक 

दिल्ली-110006 

2 अप्रैल 2014 

प्रिय गौरी, 

सप्रेम नमस्ते! यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि तुम अपनी माता जी के साथ पिता जी के पास अमरीका जा रही हो। तुम्हारे जीवन का एक नया अध्याय प्रारंभ हो रहा है। इस अवसर पर मेरी हार्दिक मंगलकामनाएँ स्वीकार करो।

जब से तुम्हारे पिता जी अमरीका गए हैं तुम्हें उनकी कमी बहुत ज्यादा खलती थी। तुम्हारे उदासी भरे पत्रों से मैं जान जाती थी कि तुम उनके पास जाकर रहना चाहती हो। तुम्हारे भैया बारहवीं कक्षा पास करके अब इंजीनियरी की पढ़ाई करने खड़गपुर जा चके हैं। अब तुम लोग पिता जी के पास रह सकते हो। यहाँ भी तुम पढ़ाई में सदा आगे ही रही हो इसलिए वहाँ किसी अच्छे विद्यालय में प्रवेश पाना कठिन नहीं होगा। 

तुम्हारी विदेश यात्रा और सुखद भविष्य की मंगलकामना करते हुए यह पत्र समाप्त करती हैं। अपने नए विद्यालय के मित्रों और अनुभवों के विषय में लिखना। मुझे तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा रहेगी। 

अपने माता जी-पिता जी को मेरा सादर प्रणाम कहना।

शुभकामनाओं सहित 

तुम्हारी प्रिय सखी 

रजनी