दीपावली निबंध
Diwali Essay
संकेत-बिंदु –भारत के त्योहार। मनाने का समय। पौराणिक तथा ऐतिहासिक संदर्भ, मनाने का ढंग, कुछ कुप्रथाएँ, हमारा कर्तव्य । निष्कर्ष।
भारत के त्योहार ही यहाँ की संस्कृति को जीवित रखते हैं। त्योहारों की पावन श्रृंखला में दीपावली का पर्व अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्योहार अमावस्या से दो दिन पूर्व त्रयोदशी से लेकर उसके दो-दिन बाद द्वितीया तक चलता है। लोगों का मानना है कि इसी दिन समुद्र मंथन से धन एवं सौभाग्य की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसी दिन श्री राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। सिक्खों के छठे गरु हरगोबिंदु सिंह जी इसी दिन औरंगजेब की कारागार से मुक्त हुए थे। इसी दिन भगवान महावीर स्वामी रामतीर्थ और महर्षि दयानंद को निर्वाण प्राप्त हुआ था। अमावस्या की रात्रि में लक्ष्मी-पूजन किया जाता है तथा घरों पर दीप मालिकाएँ प्रज्वलित की जाती हैं। बच्चे पटाखे चलाते हैं। लोग अपने मित्रों तथा संबंधियों के यहाँ मिष्ठान्न तथा उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। कुछ लोग दीपावली के दिन जुआ खेलकर अपना भाग्य आजमाते हैं। हमें इस कुप्रथा को समाप्त करना चाहिए। दीपावली के पर्व को अंधेरे से प्रकाश की ओर, सत्य से असत्य की ओर ले जाना गलत माना जाता है।
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