विजयदशमी 
Vijaydashmai

भारतीय त्योहार भारतीय जन मानस को भारतीय संस्कृति के उच्चादर्शों तथा मानवीय मूल्यों से जोड़े रखते हैं। विजयदशमी का पर्व धर्म, पुण्य तथा देवत्व की विजय की घोषणा करता है। यह त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को दशमी तिथि के दिन धर्म की अधर्म पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह विजयशमी के रूप में तथा बंगाल में दुर्गा पूजा के नाम से मनाया जाता है। इस पर्व के साथ श्री राम की कथा जड़ी है। इसी दिन श्री राम ने अत्याचारी रावण का वध किया था। एक पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नामक महाबलशाली दैत्य को इसी दिन महाशक्ति दुर्गा ने परास्त कर, उसका वध करके देवत्व की पुन: प्रतिष्ठा की। इस अवसर पर नौ दिन पूर्व से ही स्थान-स्थान पर श्रीराम-कथा का मंचन होता है तथा अंतिम दिन एक विशाल मैदान में राम-रावण का युद्धोपरांत रावण, मेघनाथ तथा कुंभकरण के विशालकाय पुतलों में आग लगा दी जाती है। जिनमें पटाखे तथा आतिशबाजी भरी रहती है। इस दृश्य को देखने अपार जनसमूह एकत्रित होता है। बंगाल में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। भक्तगण नौ दिन तक उपवास रखकर दुर्गापूजा करते हैं तथा दशमी के दिन दुर्गा की प्रतिमाओं को पवित्र नदियों या सागर में विसर्जित कर देते हैं। गुजराती लोग इस पर्व पर गरबा नृत्य का आयोजन करते हैं। दशहरा-पर्व धर्म की अधर्म पर, पुण्य की पाप पर, न्याय की अन्याय पर तथा मानवत्व की दानवत्व पर विजय का प्रतीक है जो हमें प्रेरणा देता है कि हम सदा सात्विक प्रवृत्तियों को अपनाएँ और आसुरी वृत्तियों से हार न मानें।