माता के आकस्मिक निधन पर मित्र को संवेदना-पत्र। 

दुर्गा निवास 

सी-स्कीम 

जयपुर 

20 दिसंबर 2014 

प्रिय मित्र संदीप, 

सस्नेह नमस्ते। कल ही तुम्हारी माता जी के आकस्मिक निधन का दुखद समाचार मिला। एक क्षण को तो विश्वास नहीं हुआ। अभी पिछले माह ही तो उनसे मिलना हुआ था। उनका हँसमुख ममतालु चेहरा बार-बार मानस-पटल पर कौंध जाता है। मित्र! मैं तुम्हारी पीड़ा समझ सकता हूँ। तुम अपनी माँ से कितना स्नेह करते थे। देवी के समान पूजते थे। लेकिन प्रभु की इच्छा के आगे नतुमस्तक होने के अतिरिक्त उपाय ही क्या है। 

दीपू इस गहरे दुख की घड़ी में सांत्वना देने के अतिरिक्त कोई क्या कर सकता है। लेकिन मित्र इतना अवश्य कहना चाहूँगा कि अपने को संभालना क्योंकि तुम्हारे पिता और छोटी बहन को इस समय तुम्हारे सहारे की जरूरत है। प्रभु तुम्हें यह दुख सहने की शक्ति और दिवंगत आत्मा को शांति दें। 

शीतावकाश पाँच दिन बाद से प्रारंभ होने वाले हैं। मैं तुम्हारे पास अवश्य आऊँगा। 

तुम्हारा अभिन्न मित्र 

सुकेश