परीक्षा में अनुत्तीर्ण हुए मित्र को सांत्वना-पत्र 


21 सेक्टर 'ए' 

द्वारिका, नई दिल्ली 

20 अप्रैल 2012 

प्रिय हुतोषी 

सस्नेह नमस्ते। 

कल ही तुम्हारी बड़ी दीदी का पत्र मिला। यह जानकर थोड़ा खेद हुआ कि इस वर्ष तुम उत्तीर्ण नहीं हो सकी, जिसके कारण तुम बहत उदास हो। काश, इस समय मैं तुम्हारे पास होती और हम साथ-साथ दिल पर हाथ रखकर कहते-'भगवान, सब अच्छा ही करते हैं।' मेरी प्यारी सखी, इस वर्ष जिन कठिनाइयों से तुम गुज़री हो हम सब जानते हैं। तुम्हें पीलिया हुआ और पंद्रह दिन तुम्हें अस्पताल में रहना पड़ा। पूरी तरह ठीक होने में तुम्हें दो महीने लग गए थे। अब तुम पूरी तरह स्वस्थ हो- स्वास्थ्य से बढ़कर और कुछ नहीं। परीक्षा से एक महीने पहले तुम्हारी दीदी का विवाह था। मेहमानों से भरे घर में ठीक से पढ़ाई कर पाना मुश्किल था। दीदी के जाने के बाद निश्चय ही तुम्हें घर सूना-सूना लगता होगा। दीदी ने पत्र के साथ शादी की जो तस्वीरें भेजी थीं उनमें नृत्य करते हुए तुम्हारी जो तस्वीर है वो बहुत प्यारी है। इस वर्ष नृत्य प्रतियोगिता में तुमने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था यह सोचकर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है, साथ ही गर्व भी होता है। जीवन में हार-जीत, सुख-दुख तो चलते रहते हैं। मुझे विश्वास है कि तुम इस वर्ष जी-जान से मेहनत करोगी और नृत्य की तरह पढ़ाई में भी श्रेष्ठ प्रदर्शन करके दिखाओगी। मेरा प्यार और शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ हैं। 

आदरणीय माँ और बाबूजी को मेरा सादर प्रणाम कहना। 

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में 

तुम्हारी सखी 

शुमोना