दुर्घटनाग्रस्त सखी / मित्र को सांत्वना पत्र 


326 भवानी कुंज 

नई दिल्ली 

6 दिसंबर 2014 

प्रिय रेखा, 

सस्नेह नमस्ते! रंजना के पत्र से ज्ञात हुआ कि ऑटो से घर आते हुए बस से टक्कर हुई और तुम्हें काफ़ी चोटें आईं। यह जानकर तसल्ली भी हुई कि सिर की चोट गंभीर नहीं थी। सी.टी. स्केन में सब कुछ सामान्य था। प्रभु की अपार कृपा रही। बड़ी बला टल गई। मुझे तो यहाँ तक लगता है कि एक प्रकार से अच्छा ही हुआ। तुम कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गई थीं। पिछले दो वर्ष से तुम अपना उपन्यास पूरा करना चाह रही थीं पर समय ही नहीं निकाल पा रही थीं। शायद प्रभु की यही इच्छा रही हो कि तुम अपना वर्षों का सपना इस वर्ष सच कर लो। तुम्हारे कहानी-संग्रह 'वर्ष गीत' को कितनी प्रशंसा और मान-सम्मान मिला। पहली पुस्तक से ही साहित्य-जगत में तुमने अपना विशेष स्थान बना लिया। जो होता है अच्छे के लिए ही होता है।

प्रभु से प्रार्थना है कि तुम्हारी चोटें जल्दी ठीक हो जाएँ। 

मुझे आशा है कि डॉक्टर ने जो चालीस दिन आराम करने की सलाह दी है इस समय का तुम भरपूर लाभ उठाओगी। 

माँ पिताजी को मेरा सादर प्रणाम। 

तुम्हारी प्यारी सखी 

नीता