गणतंत्र दिवस परैड 
Gantantra Diwas Parade 


यह छब्बीस जनवरी आकर कहती है हर बार। 

संघर्षों से ही मिलता है, जीने का अधिकार॥ 

तुम से क्या भूला है अपने जीवन का इतिहास।

कितना रक्त बहाकर ले पाए हो यह उल्लास ॥ 


हमारा देश त्योहारों, पर्यों एवं उत्सवों का देश है। त्योहारों से ही जातीय जीवन में एकता और संगठन का भाव सुरक्षित रहता है। इससे जीवन में स्फूर्ति तथा शक्ति का संचार होता है। इनके मनाने से मानव में प्रेम, शान्ति, सहानुभूति तथा मित्रता की भावना उत्पन्न होती है। इसीलिए देश में समय समय पर अनेकों त्योहार मनाये जाते हैं। जिनमें से कुछ धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक त्योहार हैं। इन समारोहों के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी उत्सव मनाये जाते हैं जिनका राष्ट्रीय महत्त्व है। ऐसे उत्सवों का सम्बन्ध सारे देश और उसमें निवास करने वाले प्रत्येक प्राणी से होता है। 26 जनवरी इन्हीं राष्ट्रीय उत्सवों में से एक है जिसको गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्वतन्त्रता दिवस ने हमें अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाया और गणतंत्र दिवस ने हमें अपने देश में अपना विधान लागू करके हमें सम्मानपूर्वक जीने का मार्ग दिखाया।


26 जनवरी का राष्ट्रीय उत्सवों में विशेष स्थान है। भारतीय गणतंत्रात्मक लोकराज का अपना बनाया संविधान इसी पुण्य तिथि को लागू हुआ था। इसी दिन 1950 ई. को भारत में गर्वनर जनरल के पद की समाप्ति हुई और शासन का मुखिया राष्ट्रपति बनाया गया था।


अंग्रेज़ जब हमारे देश को स्वतंत्र करने के लिए किसी भी प्रकार सहमत न हुए तो 26 जनवरी 1929 को अखिल भारतीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में रावी नदी के तट पर पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में यह घोषणा की गई, "यदि ब्रिटिश सरकार स्वराज्य देना चाहे तो 31 दिसम्बर 1929 के 12 बजे रात अर्थात् 1 जनवरी 1930 से उसे लागू होने की स्पष्ट घोषणा करे अन्यथा दो जनवरी से हमारी मांग पूर्ण स्वाधीनता की होगी।" तब से हर वर्ष 26 जनवरी का पर्व मनाने की परम्परा चल पड़ी। सारे देश में उस दिन राष्ट्रीय ध्वज के साथ जलूस निकाले जाते ने सभाएँ आयोजित की जाती थीं और प्रस्ताव पास करके प्रतिज्ञाएँ की गईं कि जब तक हम पूर्ण स्वतन्त्र न हो जाएँगे तब तक हमारी स्वतन्त्रता के लिए युद्ध चलता देगा। अन्त में असंख्य बलिदानों के बाद देश स्वतंत्र हुआ और हम सब भारतवासियों का सपना साकार हुआ। 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ। इसी दिन प्रथम एवं अन्तिम गर्वनर जनरल श्री राजगोपालाचार्य ने नए चुने गए राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को कार्य भार सौंपा।


इस दिन लोगों में उत्साह और प्रेरणा जागृत करने के लिए विभिन्न राज्यों में सरकारों की ओर से आनन्दवर्द्धक कार्यक्रम रखे जाते हैं। प्रात: राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ-साथ सैनिक परेड, स्कूलों एवं कालेजों के छात्र छात्राओं का रूट-मार्च, पंचवर्षीय योजनाओं के अर्न्तगत प्रान्त की प्रगति की झांकी का सजीव रूप प्रदर्शित किया जाता हैं। सायंकाल को विशिष्ट व्यक्तियों को सरकार की ओर से भोज एवं जनता के लिए आतिशबाजियों का कार्यक्रम होता है।


चाहे यह समारोह देश के हर छोटे बड़े शहर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, परन्तु भारत की राजधानी दिल्ली में यह उत्सव राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है, जिससे इसकी शोभा देखते ही बनती है। राष्ट्रपति जल, नभ तथा स्थल तीनों सेनाओं का अभिवादन स्वीकार करते हैं। रूट-मार्च, परेड, युद्ध में प्रयुक्त होने वाले शास्त्रों का प्रदर्शन, विभिन्न प्रान्तों की सांस्कृतिक झाँकियां, लोक नृत्यों का दृश्य, पंचवर्षीय योजना में प्रगति की झांकियां, विभिन्न प्रान्तों के नर नारियो की वेशभूषा तथा दिल्ली के स्कूलों एवं कालेजों के छात्र, छात्राओं का रूट मार्च देखने योग्य होता है। मुख्य समारोह परेड की सलामी, ईनाम बांटने आदि कार्यक्रम तो इंडिया गेट पर ही होता है, परन्तु शोभा यात्रा नई दिल्ली की अक्सर सभी सड़कों पर घूमती है। सभी कार्यक्रम शुरू करने से पहले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा अन्य गण-मान्य लोग देश की स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए शहीद हुए अमर शहीदों को अपनी श्रद्धांजली अर्पित करते हैं। इस दिन राजधानी को विशेष रूप से सजाया जाता है। देश और विदेश के माननीय अतिथि इस समारोह को देखने के लिए आते हैं। विदेशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि हमारे देशवासियों को बधाई सन्देश और शुभकामनाएँ भेजते हैं। राष्ट्रपति की सवारी को देखने तथा उनका स्वागत करने के लिए सड़कों के दोनों ओर बहुत बडी संख्या में लोग खड़े होते हैं। जब राष्ट्रपति सलामी लेते हैं तो 31 तोपें दागी जाती हैं तथा सैनिक वाद्य विशेष धुन बजाते हैं।


यह राष्ट्रीय त्योहार देश के नगरों, ग्रामों, स्कूलों और कालेजों तथा कार्यालयों में भी बड़ी प्रसन्नतापूर्वक एवं धूमधाम से मनाया जाता है। प्रभातफेरी और राष्ट्रीय नारों के साथ कार्यक्रम आरम्भ होता है। इसके बाद ध्वज फहराया जाता है और मिष्ठान वितरण किया जाता है। विभिन्न स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इनमें अनेक प्रकार की प्रतियोगिताएँ होती हैं। एन. सी. सी. की अलग-अलग शाखाएँ -जल सेना, नभ सेना और थल सेना, स्काऊट और गाइडज़ और पुलिस आदि परेड करती हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के भिन्न-भिन्न चैनलों द्वारा इनका सीधा प्रसारण किया जाता है। नेता तथा उच्च अधिकारी इस अवसर पर तिरंगा फहराते हैं और अपना सन्देश देते हैं। लोग इस दिन अमर शहीदों को भी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए हंसते हंसते अपने प्राणों की बाज़ी लगा दी। रंग बिरंगी रोशनी हमारी खुशी को प्रकट करती है।


26 जनवरी के उत्सव को जनसाधारण और समाज का पर्व बनाने के लिए इसमें प्रत्येक भारतवासी को बढ़चढ़ कर भाग लेना चाहिए। इस दिन हमें यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि हम सभी आपसी भेद-भाव भुलाकर भाईचारे के साथ रहेंगे। इस समय राष्ट्र के सामने जो समस्याएँ हैं उनके समाधान के लिए प्रत्येक भारतवासी प्रयत्न करे तथा भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, फूट, कलह तथा ऊँच-नीच जैसी समस्याओं को जड़ से उखाड़ फेंके। इस दिन राष्ट्रवासियों को यह भी सोचना चाहिए कि हमने क्या खोया है और क्या पाया है तथा हमारी पंचवर्षीय योजाओं में हमें कहां तक सफलता मिली है। इस दिन हम अपने उन शहीदों को भी याद करते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए।