मेरा  प्रिय कवि तुलसीदास
Mera Priya kavi Tulsidas

गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सौरों के निकट रामपुर ग्राम में सन् 1600 से पूर्व हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी था। जाति से ब्राह्मण थे। जन्म लेने के बाद ही इनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। इस कारण इन्हें बाल्यकाल में बहुत कष्ट उठाने पड़े। गोस्वामी जी की रचनाओं से विदित होता है कि उन्होंने गृहस्थ जीवन भी बिताया। यौवनावस्था में वे विषय-वासना में लीन हो गये। ऐसा माना जाता है कि एक बार वे वासना के वशीभूत होकर मुर्दे के सहारे नदी पार कर अपनी धर्मपत्नी के पास रात्रि में पहुँचे तो पत्नी ने उन्हें फटकार दिया कि हमारे शरीर में ऐसा क्या है जो आप इतने कष्ट उठाकर आये। जैसा प्रेम हमारे शरीर से है वैसा अगर राम से हो तो तुम्हें मोक्ष मिल जायेगा। बस वे गृहस्थ जीवन त्याग कर भक्ति में लीन हो गये और रामचरितमानस व विनयपत्रिका जैसे पवित्र ग्रन्थों की रचना की। सन् 1680 में उनकी मृत्यु हो गई। स्वयं लिखा है


संवत सोलह सो असी, असी गंग के तीर।


श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी तज्यो शरीर। रचनायें तुलसी रचित 56 ग्रन्थ कहे जाते हैं, किन्तु विद्वानों ने निम्नलिखित ग्रन्थ ही स्वीकार किये हैं-

1. रामचरितमानस, 

2. विनय पत्रिका, 

3. गीतावली, 

4. कवितावली,

5. कृष्ण गीतावली, 

6. पार्वती मंगल, 

7. जानकी मंगल, 

8. रामलला नहछू, 

9. दोहावली, 

10. रामाज्ञा प्रश्न, 

11. वैराग्य सन्दीपनी, 

12. बरवै रामायण।