विद्यालय में मेरा पहला दिन
School me Mera Pehla Din


अप्रैल माह की पन्द्रह तारीख थी। सोमवार का दिन था। माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 6 में यह मेरा पहला दिन था। एक पर्वतारोही की तरह जिसने हिमालय पर चढ़ना एवं उस पर विजय प्राप्त करनी होती है मेरे हृदय में भी रोमांच था। मैं उत्सुकता से एक ऐसे वर्ष की प्रतीक्षा कर रहा था जिसमें प्रतिदिन अपूर्व अनुभव होंगे एवं प्रतिदिन कुछ नवीन सीखने को मिलेगा। यह मिश्रित अनुभूति का दिन था। जहाँ मुझे प्रसन्नता थी कि हम बहुत से मित्र पुनः मिलेंगे वहीं मन में उन मित्रों से बिछुड़ने का भाव भरा था जिन्हें दूसरे सेक्शन में भेजा गया था। कुछ नये चेहरों के साथ मित्रता बढ़ी। प्रत्येक के चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक थी। लड़के एवं लड़कियाँ माध्यामिक विद्यालय में पहुँच कर स्वतन्त्र अनुभव कर रहे थे। मुझमें भी बड़ा होने एवं उत्तरदायित्वपूर्ण होने का भाव मौजूद था। दिन की सर्वोतम उपलब्धि यह थी कि हमारी कक्षा अध्यापिका बहुत मृदु एवं स्नेही थी। एक ऐसी अध्यापिका जिनके सानिध्य में प्रतिदिन उत्तम व्यतीत होगा। उन्होंने सर्वप्रथम अपना परिचय दिया एवं हम सब विद्यार्थियों के नाम पूछे। उनका नाम 'रचना गोयल' था एवं उन्होंने सेंट स्टीफन्स कालेज से अंग्रेजी में एम.ए. किया था। वह बहुत हंसमुख एवं प्रमुदित स्वभाव की थीं। उन्होंने हमारे प्रथम दिवस को एक यादगार बना दिया। किन्तु हम सभी सहपाठियों को अपनी पिछली कक्षा एवं कक्षा अध्यापिका की कमी भी अवश्य महसूस हुई।