चूहा और भगवान 
Chuha aur Bhagwan


एक बार की बात है.एक चूहा था.एक दिन उसने सोचा की चूहा होना बहुत गलत बात है,क्योंकि हमेशा बिल्लियों से खतरा रहता है और बोलने लगा की काश मैं बिल्ली होता. यह सुनकर भगवान को चूहे पर दया आ गयी और भगवान ने उसे बिल्ली बना दिया. बिल्ली बनने के बाद उसे कुत्तो से डर लगने लगा.


चूहा फिर सोचने लगा- काश मैं कुत्ता होता तो मैं कही भी निर्भीक होकर घूम सकता. भगवान ने उसे कुत्ता बना दिया. कुत्ता बनने के बाद वह दूर-दूर तक खूब घूमा.


एक दिन वह कुत्ता जंगल में चला गया, तो शेर उसके पीछे पड़ गया. वह किसी तरह अपनी जान-बचाकर वहा से निकला और.....


तब वह कुत्ता फिर बोला- काश मैं शेर होता तो मैं बिना किसी डर के जंगल में घूमता रहता.


भगवान ने उसकी कही हुई बात सुनी-उसे शेर भी बना दिया. वह अब जंगल में जाकर रहने लगा. वह पूरा जंगल घूमता रहता और वह बहुत ही खुश था, जब वह यह देखता की जंगल के सारे जानवर उससे डरते है.


एक दिन उस जंगल में एक शिकारी आ गया. वह शिकारी उस शेर को मारने के लिए तीर चलाने लगा. उसे उन तीरों से बचने के लिए गुफा की ओर भागना पड़ा और वहा छुपना पड़ा.


फिर उस शेर ने सोचा- यह भी कोई जिंदगी हुई. काश में मनुष्य होता.


इस बार भगवान को उस पर दया नहीं आई और उन्होंने उसे फिर से चूहा बना दिया और 


भगवान उस चूहे से बोले- मैं तुम्हे कुछ भी बना दूँ ,पर तुम रहोगे तो चूहे ही.


शिक्षा/Moral:- दोस्तों, यह कहानी हमें सीख देती है कि जो व्यक्ति अपनी परिस्थितियो से घबरा कर पलायन करता है, उसे चाहे कितनी भी सुख-सुविधाएँ दे दी जाय पर वह हमेशा असंतुष्ट ही रहेगा.


हमें कभी भी अपनी परिस्थितियो से घबरा कर पलायन नहीं करना चाहिए. चाहे दुःख कितना ही बड़ा हो या आपके हालात उस समय आपके पक्ष में न हो. आपको घबराना नहीं चाहिए और उन परिस्थितियो में खुद को मजबूत बना कर उनका सामना करना चाहिए.