काले कौवे की दुःखी कहानी 
Kale Kove ki Dukhi Kahani


एक जंगल में एक कौवा रहता था और वह अपनी जिंदगी से बहुत दुखी था.वह जब भी जंगल में घूमता तो दुसरे पक्षियों को भी देखता था और उन्हें देखकर उसे लगता की उसका रंग बहुत काला है और यही उसके दुःख का असली कारण था. अब रोज का यही सिलसिला था तो वह कौवा उदास रहने लग गया था।


एक दिन जब वह जंगल में उड़ रहा था तो उसने एक तालाब में बतख को तैरते देखा तो वह एक पेड़ में बैठ गया और सोचने लगा की यह बतख कितना सफ़ेद है.काश मेरा भी रंग सफ़ेद होता. फिर कुछ देर बाद वह कौवा बतख के पास गया|


बतख के पास जाते ही कौवा उससे बोला- तुम बहुत खुशकिस्मत हो जो तुम्हारा रंग सफ़ेद है. बतख ने कौवे की बात सुनी|


बतख ने कौवे से बोला- हाँ मैं सफ़ेद तो हूँ लेकिन जब मैं हरे रंग के तोते को देखता हूँ तो मुझे अपने इस सफ़ेद रंग से गुस्सा आता है।


बतख की बात सुनकर वह कौवा वहा से चला गया और कुछ समय बाद वह तोते के पास पहुंचा.


कौवा तोते से बोला- तुम्हारा रंग तो बहुत सुन्दर है तुमको यह देखकर बहुत अच्छा लगता होगा।


कौवे की बात सुनकर तोता बोला- हाँ,मुझे लगता तो अच्छा है की मैं इतना सुंदर हूँ लेकिन मैं सिर्फ हरा हूँ और जब कभी भी मैं मोर को देख लेता हूँ तो मुझे बहुत बुरा लगता है क्योंकि मोर बहुत खुबसूरत है और उसके पास बहुत सारे रंग है.


कौवे को लगा यह बात भी सही है क्यों न अब मोर के पास ही चला जाय.


वह कौवा जंगल में मोर को ढूढने लगा किन्तु उसे मोर नहीं मिला फिर वह कुछ दिन बाद एक चिड़ियाघर में जा पहुंचा.


जहा उसे मोर दिख गया लेकिन मोर को देखने के लिए बहुत सारे लोगो की भीड़ जमा हुई थी तो कौवा उन लोगो के जाने का इन्तेजार करने लगा. जब वे सब लोग चले गये तो


कौवा मोर के पास पहुंचा और मोर से बोला- वाह मोर,तुम तो सच में बहुत खुबसूरत हो तभी सब तुम्हारी इतनी तारीफ करते है. तुमको तो खुद पर बहुत गर्व महसूस होता होगा.


कौवे की बात सुनकर मोर बड़े दुःख के साथ बोला- तुम्हारी बात बिल्कुल ठीक है पर मेरे अलावा इस दुनिया में कोई और दूसरा खुबसूरत पक्षी नहीं है इसलिए मैं यहाँ चिड़ियाघर में कैद हूँ।


यहाँ पर सब मेरी रखवाली करते है जिस कारण में कही भी नहीं जा सकता और अपने मन के मुताबिक कुछ भी नहीं कर सकता है.


मैं भी काश तुम्हारी तरह कौवा होता तो मुझे भी कोई कैद करके नहीं रखता और मैं भी हमेशा तुम्हारी तरह खुले आसमान में जहा चाहो वहा घूमता रहता पर एक मोर के लिए यह सब मुमकिन नहीं.


कौवे ने मोर की सारी बातें सुनी और फिर वहा से चले गया और सारी बात समझ गया. उसे इस बात का अहसास हो गया था कि सिर्फ वो ही नहीं बल्कि हर कोई उसकी तरह दुखी और परेशान है।


इस कहानी की प्रेरणा- कोई आदमी कितना सुखी है वह सिर्फ वो ही आदमी जानता है क्योंकि हर किसी के अपने जीवन में कई परेशानीयाँ होती है अपने दुःख होते है। इसलिए हमें दुसरे के सुख से जलन न करते हुए उससे सीखना चाहिए तथा खुद में जो अच्छी चीजे है उनको देखना चाहिए न की कमजोरी को. अगर कोई कमजोरी होती भी है तो उसे दूर करना चाहिये.