कार्य ही पूजा है
Karya hi Pooja hai
दुनिया को चलाने के लिए कार्य करना आवश्यक है। कार्य व्यक्ति के जीवन की मुख्य क्रिया है। यह केवल भोजन कमाने का जरिया ही नहीं बल्कि पूजनीय है। ईश्वर भी उन्हीं से प्रेम करते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं। यह मन्दिर की चार दीवारी में प्राप्त नहीं हो सकता। ईश्वर मंत्र उच्चारण तथा घंटिया बजाने से प्रसन्न नहीं होते। केवल माला जपना तथा पवित्र सरोवरों में डुबकी लगाने का कोई फायदा नहीं। ईश्वर तो उन्हें प्राप्त होता है जो सड़क पर पत्थर तोड़ते हैं या खेतों में हल चलाते हैं। ईश्वर ने इंसान को हाथ दिए हैं तथा वह चाहता है कि हम उनका प्रयोग करें। ईश्वर की कृपा खाली बैठने वालों पर नहीं बरसती। केवल ईमानदारी से कार्य करके ही हमें ईश्वर की अनुभूति हो सकती है। खाली मन शैतान का घर होता है। केवल महत्त्वपूर्ण कार्य कर के ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। बिना कार्य किए जीवन व्यर्थ है। केवल कार्य ही हमें सुन्दरता तथा जीवन को दिशा प्रदान करता है।










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