समानार्थक प्रतीत होने वाले भिन्नार्थक शब्द 
Hindi Synonyms that have different meanings


1. अस्त्र-जिन हथियारों को फेंककर चलाया जाता है।

शस्त्र-जिनको हाथ में पकड़कर चलाया जाता है। 


2. अधिक-आवश्यकता से अधिक।

पर्याप्त-आवश्यकता के अनुसार। 


3. अमूल्य-जिसका कोई मूल्य न हो।

बहुमूल्य-अत्यधिक कीमत वाली, साधारण से अधिक मूल्य वाली वस्तु। 


4. अदवितीय-जिसके समान कोई दूसरा न हो।

अनुपम-जिसकी किसी से समानता न की जा सके। 


5. अनुसंधान-अज्ञात तथ्यों को प्रकट करना।

आविष्कार-नई वस्तु अथवा मशीन का निर्माण।

खोज/अन्वेषण-किसी छिपी हुई वस्तु को ढूँढना। 


6. अज्ञ-जिसे कुछ भी ज्ञान न हो, मूर्ख।

अनभिज्ञ-जिसे किसी विशेष घटना या कार्य की जानकारी न हो। 


7. अध्यक्ष-किसी संस्था का स्थायी प्रधान।

सभापति-किसी कार्यक्रम या सभा का प्रधान। 


8. अनिवार्य-जिसके बिना कार्य संभव न हो, जिसका कोई विकल्प न हो।

आवश्यक-जरूरी। 


9. अनुरूप-उपयुक्तता का भाव।

अनुकूल-किसी पक्ष के लिए लाभकारी होना। 


10. अनुग्रह-प्रसन्नतापूर्वक कृपा करना।

अनुकंपा-दया।


11. अनबन-मन-मुटाव।

खटपट-छोटा-मोटा झगड़ा। 


12. अनुरोध-आग्रहपूर्वक विनती करना।

प्रार्थना-विनयपूर्वक निवेदन करना।

 

13. अपराध-कानून या नियम के विरुदध, जिसका विधिवत दंड होता है।

पाप-अनैतिक काम, जो सामान्यतः अनुचित या निंदा के योग्य माना जाता है, कानून में उसका दंड नही भी हो सकता। 


14. अनुभव-किसी कार्य को करने या व्यवहार से प्राप्त ज्ञान, तजुर्बा ।

अनुभूति-चिंतन या अंतर्मन का अनुभव, इसमें संवेदना का भाव प्रधान रहता है, अहसास। 


15. अभिवादन-किसी को प्रणाम, नमस्कार करना।

अभिनंदन-किसी का प्रशंसापूर्वक और विधिवत सम्मान।

स्वागत-किसी के आगमन पर लोक मर्यादा के अनुसार सम्मान प्रदान करना जिसमें आतिथ्य का भाव रहता है।

 

16. अनुनय-कृपा की याचना जिसमें कुछ गिड़गिड़ाने का भाव निहित हो।

विनय-विनम्र प्रार्थना। 


17. अंतःकरण-मन अथवा हृदय।

आत्मा-चेतना, जीवन-शक्ति। 


18. अभिमान-अपनी संपत्ति या श्रेष्ठता के कारण स्वयं को बड़ा समझना।

अहंकार-झूठा घमंड। 


19. अवस्था-वय, उम्र, इस शब्द का प्रयोग 'दशा' के अर्थ में भी होता है।

आयु-संपूर्ण जीवन-काल। 


20. आधि-मानसिक कष्ट।

व्याधि-शारीरिक कष्ट।


21. आवेदन-निर्धारित और वांछित योग्यताओं के आधार पर किसी पद या कार्य के लिए विचारार्थ भेजा गया पत्र।

अनुमति-माँगे जाने पर अपने से छोटों या अधीनस्थ को किसी कार्य के लिए सहमति देना। निवेदन-नम्रतापूर्वक अपने विचार प्रकट करना।


 22. आज्ञा-बड़ों द्वारा छोटों को कुछ कहना।।

आदेश-अधिकारी द्वारा अधीनस्थों को निर्देश देना। 


23. इच्छा-किसी वस्तु को पाने की स्वाभाविक चाह।

लालसा-चाह की तीव्रता।

प्रयोग-किसी वस्तु को सामान्य रूप से व्यवहार में लाना। 


24. उपयोग-लाभकारी कार्य हेतु प्रयोग करना।

उपभोग-खाना।

प्रयोग-किसी वस्तु को सामान्य रूप से व्यवहार में लाना। 


25. उद्योग-परिश्रम, मेहनत। 

प्रयास-कोशिश।


26. उपहास-अपमान के लिए हँसी उड़ाना।

परिहास-मनोरंजन के लिए, हँसी-विनोद करना।


27. कष्ट-सभी प्रकार के दुःख।

क्लेश-मानसिक दुःख।


28. कृपा-अपने से छोटों को सुखी करने की भावना।

दया -दुखियों की सहायता करने की भावना। 


29. कार्य-सामान्य आवश्यक कार्य।

कर्तव्य-करने योग्य कार्यों को करने की जिम्मेदारी। 


30. खेद-गलती करने पर दुःख प्रकट करना।

शोक-किसी की मृत्यु पर दुःख प्रकट करना। 


31. ग्लानि-किए गए कुकर्म पर पछतावा।

लज्जा-अनुचित कार्य पर संकोच होना।

संकोच-किसी कार्य को करने में हिचकिचाना। 


32. तंद्रा-ऊँघना।

निद्रा-सोना। 


33. गर्व-किसी गुण या सफलता आदि पर उचित महत्ता।

गौरव-बड़प्पन, महानता।


34. दुर्गम-जहाँ पहुँचना कठिन हो। 

अगम-जहाँ पहुँचना संभव न हो।


 35. पत्नी-किसी की विवाहता स्त्री।

स्त्री-कोई भी नारी।

महिला-कुलीन घर की स्त्री


36. पुत्र-अपना बेटा।

बालक-कोई भी बच्चा।


37. प्रेम-लगाव के कारण उत्पन्न अपनापन।

परिणय-विवाह।

प्रणय-पति-पत्नी अथवा प्रेमी-प्रेमिकाओं का आपसी लगाव। 


38. न्याय-सच-झूठ का सही-सही फैसला।

निर्णय-फैसला, चाहे वह सही हो या गलत। 


39. निंदा-बुराई, पीठ पीछे बुराई करना।

आलोचना-गुण-दोष की समीक्षा करना।


40. पुरस्कार-किसी भी अच्छे कार्य हेतु दिया गया इनाम।

पारितोषिक-किसी प्रतियोगिता अथवा परीक्षा आदि में प्रदर्शित श्रेष्ठता पर दिया जाने वाला इनाम।

41. भ्रम-धोखा, एक वस्तु में दूसरी का असत्य निश्चय, गलतफहमी ।

संदेह-शक, अनिश्चय की स्थिति। 


42. वात्सल्य-पुत्र आदि छोटों के प्रति प्यार।

स्नेह-छोटों के प्रति शुभ चाहने की भावना। 


43. लोभ-कुछ पाने की इच्छा से अभिभूत।

तृष्णा-अधिकाधिक पाने की तीव्र लालसा। 


44. मुनि-धर्म तथा तत्व का विचारक, मनन करने वाला 'स्व' से ऊपर उठी आत्मा।

ऋषि-ब्रह्मज्ञानी।


45. मत-एक विचार को मानने वाला समूह।

धर्म-कर्तव्य तथा अकर्तव्य का भेद बताने वाले नियम।

संप्रदाय-किसी धार्मिक मत को मानने वाला समूह।

 

46. विवेक-अच्छाई और बुराई की पहचान।

ज्ञान-किसी विषय या वस्तु की जानकारी। 


47. श्रम-केवल शारीरिक शक्ति से काम करना।

परिश्रम-शरीर और मन से कोई काम करना। 


48. अंशदान-किसी कार्य में थोड़ी सहायता।

योगदान-पूरा साथ। 


49. विलाप-शोक या वियोग में रुदन करना।

प्रलाप-मानसिक विकार के कारण पागलों के समान बोलना (बकना)।


50. स्पर्धा-कुछ पाने या करने की स्वाभाविक होड।

द्वेष-मन में मैल या दुश्मनी रखना। 


51. सुख-लाभकारी स्थिति में प्रसन्न होना।

आनंद-दुःख और सुख से परे होना। 


52. संतोष-जो मिले उसी में खुश रहना।

तृप्ति-इच्छा की पूर्ति होना। 


53. कवि-केवल कविता लिखने वाला।

लेखक-किसी विषय पर कुछ भी लिखने वाला। 


54. तर्क-एक व्यक्ति द्वारा अपने मत की पुष्टि के लिए कारण और प्रमाण प्रस्तुत करना।

वितर्क-बहस, अनेक व्यक्तियों द्वारा अपने-अपने तर्क देना। 


55. कथा-कहानी, जिसमें एक ही व्यक्ति कुछ कहता है।

वार्ता-बातचीत, चर्चा, जिसमें सभी लोगों को अपनी बात कहने का अवसर रहता है। 


56. प्रणाम-गुरुजनों के लिए।

नमस्ते-छोटे-बड़े सभी के लिए। 

अभिवादन-आदरपूर्वक हाथ जोड़कर, खड़े होकर स्वागत करना।

नमस्कार-समान अवस्था वाले के लिए। 


57. ग्रंथ-बड़ी तथा गंभीर विषय वाली पुस्तक।

पुस्तक-कोई भी सामान्य प्रकाशित पुस्तक। 


58. आदरणीय-अपने से बड़ों के प्रति सम्मानसूचक शब्द।

पूजनीय-गुरु, माता, पिता या महापुरुषों के प्रति सम्मानसूचक शब्द। 


59. अर्चना-धूप, दीप आदि से पूजा करना।"

पूजा-बिना किसी सामग्री के पूजा करते हैं। 


60. ईर्ष्या-दूसरे की सफलता पर जलन।

द्वेष-किसी कारणवश किसी से शत्रुता या घृणा करना। 

स्पर्धा-दूसरे के गुणों जैसा बनने की कामना से प्रेरित उत्साह। 



61. उत्साह-काम करने की तीव्र उमंग।

साहस-साधन न होते हुए भी काम करने की इच्छा होना।


62.करुणा-दूसरों के दुःख को दूर करने की आकुलता। 

दया-दूसरों के दुःख को दूर करने की स्वाभाविक चेष्टा।

कृपा-छोटों के कष्ट दूर करने या सहायता की चेष्टा।


 63. आशंका-भविष्य में अमंगल का भ्रम।

भय-किसी भी अनिष्ट का डर। 


64. छाया-वृक्ष, भवन आदि वस्तुओं की।

परछाई-किसी व्यक्ति की।


65.प्रलाप-मानसिक विकार से बोलना अथवा बकवास करना। 

विलाप-शोक अथवा वियोग में रोना। 


66. भांति-अंधेरे में रस्सी को साँप समझ लेना भ्रांति है (भ्रम के कारण)। 

संशय-वास्तविकता का निश्चय न होना (अँधेरे में रस्सी को देखकर सोचना कि यह साँप है अथवा रस्सी (संशय के कारण)। 

संदेह-वास्तविकता का निश्चय न होना। 


67. सम्राट-राजाओं का राजा।

राजा-साधारण भूपति। 


68. श्रद्धा-ईश्वर, धर्म अथवा बड़े लोगों के प्रति पूज्य भाव।

भक्ति-ईश्वर, धर्म अथवा बड़े लोगों के प्रति उत्पन्न निष्ठा के भाव। 


69. स्वतंत्रता-स्वतंत्रता का प्रयोग प्रायः व्यक्तियों के लिए होता है। 

स्वाधीनता-स्वाधीनता का प्रयोग देश के लिए होता है।


70. वध-शत्रु आदि के प्राण लेना।

हत्या-निर्दोष के प्राण लेना। 



71. निधन-महान तथा लोकप्रिय व्यक्तियों की मृत्यु।

मृत्यु-सामान्य मौत। 


72. प्रेम-मनुष्य का मनुष्य के प्रति प्रेम का भाव।

स्नेह-छोटों के प्रति प्रेम का भाव।

वात्सल्य-माँ का बच्चे के प्रति प्रेम का भाव।


73. समय-साधारण अर्थ में प्रयुक्त।

युग-समय विशेष की अवधि। 


74. गहरा-झील, तालाब, कुआँ आदि।

घना-जंगल, अंधेरा आदि। 


75. सभ्यता-रहन-सहन, व्यवहार आदि।

संस्कृति-रीति-रिवाज आदि। 


76. उपहार-बराबर वालों को।

भेंट-बड़ों को। 


77. सहयोग-दोनों पक्षों की ओर से दूसरे पक्षों की सहायता।

सहायता-एक पक्ष की ओर से दूसरे पक्ष का लाभ कार्य। 


78. तृप्ति-इच्छा की पूर्ति।

संतोष-जितना मिले उसी में प्रसन्न रहना।