सिगरेट पीने की मनाही के लिए छोटे भाई को।


स्नातकोत्तर छात्रावास. कमरा न 8

भागलपुर

27-1-1992 


प्रिय राजेन्द्र,

शुभाशीर्वाद !

आज गाँव से मोहन का पत्र आया है। उसने गाँव तथा अपने परिवार का शुभसमाचार लिखा है, जिसे जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई। उसने एक बात ऐसा लिखी।

जिससे मुझे बड़ा दुःख हुआ। उसने लिखा है कि इन दिनों तुम सिगरेट पीने लग गये हो। सिगरेट पीने से कितनी हानियाँ हैं, तुम नहीं जानते। शायद तुम बड़े लोगों को सिगरेट पीते देखकर कह सकते हो कि यह बड़प्पन की निशानी है। पर, ऐसा तुम कभी मत समझना। सिगरेट पीने से फेफड़े पर धुएँ की परत जम जाती है जिससे भयंकर हृदय-रोग हो जाता है। सिगरेट पीने से मुंह से दुर्गन्ध आती है। इन बेचनेवाला कहीं जाता है तो सुगन्ध बिखेरता है और सिगरेट पीनेवाला कहीं जाता है तो दुर्गन्ध फैलाता है। सिगरेट पीने से स्वास्थ्य चौपट होता ही है, व्यर्थ पैसे की होली भी जलायी जाती है। जिन पैसों से तुम अच्छी-अच्छी पुस्तकें खरीद सकते हो, स्वास्थ्यवर्द्धक फल खा सकते हो, अच्छे वस्त्र पहन सकते हो और अपने निर्धन मित्रों की सहायता कर सकते हो, उन्हीं पैसों को सिगरेट में जला देना कितनी बुरी बात है, तुम समझने की कोशिश करो।

अतः उम्मीद है कि तुम मेरा पत्र पढ़ने के बाद कभी सिगरेट अपने ओठों से न लगाओगे। मैं तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा बड़ी बेचैनी से कर रहा हूँ।

तुम्हारा बड़ा भाई 

पता-

श्री राजेन्द्र कुमार, 

नवम श्रेणी

महेश उच्च विद्यालय, 

अंबा (भागलपुर)-812001