समय का महत्व 
Samay ka Mahatva


समयदेव का रथ तेजी से भागता जा रहा है। उसका रथ सोने के फूल तथा कल्पलता की टहनियों से सजा है। वह खुले हाथों सोना लुटाता चलता है, चरणामृत बाँटता चलता है। कोई जागरुक चाहे, तो अपनी झोली मूल्यवान् मणि-माणिक्य स भर ले, कोई चाहे तो वरदानों के गंगाजल से अपने को अभिषिक्त कर ले। 'अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम' का मंत्र-जाप करनेवाले और समयदेव के स्वागत के लिए तैयार नहीं रहनेवाले मलूकदासों का जीवन अभिशापों से भर जाता है। सुख-सुविधाओं से वंचित, नरक का कारागार बन जाता है।

आखिर यह जीवन है क्या? कुछ क्षणों का जोड़ ही न । प्रत्येक क्षण मानव को परमात्मा द्वारा दी गयी सबसे बड़ी पूंजी है। एक-एक क्षण की पूंजी यदि हमने गवा दी, तो जीवन का कारोबार ही चौपट हो जायगा। यदि हमने समय का मधुर रस समुचित ढंग से नहीं पीया, तो समय ही सारा रस पीकर हमें चूसी हुई नारंगी की तरह एक किनारे फेंक देगा। कहावत है, "लेने योग्य, देने योग्य तथा करने योग्य कार्यों का सम्पादन जब शीघ्रता से नहीं होता है, तो उनका रस काल पी जाता है।" समय का कारवां सामने से गुजर जाने पर लाख गुहार मचाने पर भी लौटता नहीं। समय चूककर पछताने से क्या लाभ, जन्न काल की चिड़िया ही हमारे जीवन का खेत चुग चार । इसलिए महात्मा कबीर ने ठीक ही कहा है कि जो कल करना है उसे आज करो, जिसे आज करना है उसे अभी, बिलकुल अभी करो-

काल करै सो आज कर, आज करै सो अब्ब।

पल में परलय होइगा, बहुरि करैगो कब्ब? 

पता नहीं, अगले क्षण कौन दैवी प्रकोप हमें निष्क्रिय बना जाय। अतः एक-एक क्षण के सदुपयोग से हम अपने वैयक्तिक जीवन एवं राष्ट्रीय जीवन की गगनचुम्बी अट्टालिका का निर्माण कर सकते हैं। टालमटोल समय का सबसे बड़ा शत्रु है। मनबहलाव में भी ऐसे खेलकूद होने चाहिए जिनसे हममें सहयोग और शारीरिक-मानसिक शक्ति का विकास हो। किन्तु गपशप, ताश-शतरंज आदि तो मनबहलाव के नाम पर मीठे-धीमे जहर हैं, जिनसे हमारे समय और स्वास्थ्य का नाश होता है, हममें निठल्लेपन की आदत आती है।

अतः वैयक्तिक जीवन हो अथवा सामाजिक, उसकी सफलता की एकमात्र कनक-कुंजी है-समय का सदुपयोग, एक-एक क्षण को अशर्फी की तरह न गवाना । सोना व्यर्थ फेंक नहीं देते। समय सोना है- 'Time is money', अतः उसका दुरुपयोग हमें कंगाल बना देगा।

जो छात्र अपना समय गवाते हैं, उनका परीक्षाफल उत्तुम नहीं होता और फिर वे अपने जीवन में भी उत्तुम न होकर निठल्ले होने के कारण उपेक्षा का कड़वा यूंट पीते रहते हैं। जो शिक्षक देर कर कक्षा में प्रविष्ट होते हैं, वे अपना समय तो नष्ट करते ही हैं, अपने छात्रों का भी समय नष्ट करते हैं और उन्हें लेट-लतीफी सिखाते हैं। जो नेता एक लाख की भीड़ में एक घंटा देर से आते हैं, वे राष्ट्र के एक लाख घंटे नष्ट करते हैं। उतने समय में देश में एक बड़ा कारखाना निर्मित हो सकता है, जिसके उत्पादन से पर्याप्त समृद्धि बरस सकती है। एक मिनट की मुस्तैदी से विजय का सेहरा सिर पर बैंधता है और एक मिनट की चूक से पराजय की कालिख लगती है। पाँच मिनट की कीमत न जाननेवाले आस्ट्रियन नेपोलियन से पराजित हुए और वही अपराजेय नेपोलियन अपने साथी अशी के पाँच मिनट देर करने के कारण बन्दी बनकर अपमान की मत्यु मय। हम राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की पूजा करते हैं। हमने उनकी कमर में लटकती घड़ी देखी है। यह घड़ी उनकी जीवनसंगिनी थी-वे घड़ी-घड़ी की कीमत इसी से आँकते थे, क्षण का काम उसी क्षण पूरा करते थे।

गया धन, गया जन, गया स्वास्थ्य किसी प्रकार लौट भी सकते हैं, किन्तु जो समय-प्रवाह एक बार गुजर गया, वह कभी नहीं लौटता। जो व्यक्ति कठिनाइयों की छाती चीरते हुए, आलस्य की दीवार तोड़ते हुए, तेजी से छलाँग मारते हुए समय की रेलगाड़ी पर सवार हो जाते हैं, वे अपने गंतव्य पर पहुँच ही जाते हैं, अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर ही लेते हैं।

जिस प्रकार वैयक्तिक जीवन समय की मर्यादा-रक्षा से बनता है, उसी प्रकार राष्ट्रीय जीवन भी समय-महिमा की जानकारी से बनता है। समय की महत्ता को जाननेवाले जर्मनों और जापानियों ने एक-एक क्षण का सदुपयोग कर अपने देश को कुबेरपुरी बना लिया और हम है चार्वाकों की काहिल और फक्कड़ सन्तान जो लगभग चार दशकों की आजादी के बावजूद अपने देशवासियों को भरपेट भोजन भी नहीं दे पाते। एक मुट्ठी सड़े दानों के लिए हाथ पसारे बिलखते बच्चों के चित्र विदेशी अखबारों में छपते हैं और हम उपहास के पात्र बनते हैं। हमारी शान इसी में है कि हम पढ़ाई, खेत, कारखाने, सब जगह अपनी कर्मठता दिखलाएँ, ताकि हमारा देश संसार के समृद्ध देशों की अग्रिम पंक्ति में स्थान पाने का अधिकारी बने।

अतः वैयक्तिक और सामूहिक सफलता का एकमात्र रहस्य है-समय की पूजा अर्थात् एक-एक पल का सदुपयोग। हम यदि एक-एक पल को साधना का दीप बना सकें, पूजा का पुष्प बना सकें, तो हमारा जीवन मंगलमय हो जाय, प्रभा-पूरित हो जाय, आनन्द-गन्ध-विह्वल हो जाय, इसमें कोई संदेह नहीं।