छुट्टियों का सदुपयोग 
Chuttiyo ka Sadupyog


छुट्टी के दिन वे हैं जिन्हे हम अपने रोजमर्रे के कार्यक्रमों से अलग होकर शांति में बिताते हैं। इसके माने यह नहीं कि हम कोई महत्वपूर्ण कार्य करने से चूकें, बल्कि इसके माने यह है कि छट्टी के दिन में थोडा बहत विश्राम ही कर लें। छट्टी के समय हम विश्राम में थोडा शारीरिक परिश्रम भी मिला सकते हैं। यह सदा याद रखने की बात है कि छट्टी के दिनों के काम के काम हों जो रोजमर्रे के कामों से संबंधित न हों । छुट्टी के दिन कैसे बिताए जाते हैं, यह हर व्यक्ति के स्वभाव व मानसिक स्तर पर निर्भर रहता है। 


दिन भर दिमागी परिश्रम करनेवाले अध्यापक या वकील या आयोजक जो जटिल आर्थिक समस्याओं पर दिमाग लडाने के बाद थोडी देर अपने छोटे से बगीचे में बिताने से उसको जरूर आराम मिल सकता है और आनन्द का अनुभव भी । जब वह अपने से लगाये छोटे पौधे को बढ़ते, फूलते और फलते देखता है तो वह इस सष्टि के आनन्द में विभोर होता है । यह काम तो जरूर शरीर को थकावट पहुँचा सकता है, बल्कि रोजमेर की चिंताओं से या व्यवहारों से दिमाग को दूर ले जाता है । असली अर्थ में यही छट्टी कहा जा सकता है। कुछ लोग छुट्टी के दिन बिताना चाहते तो, अपने बगीचे के ठण्डे पेड़ों की ठण्डी छाया में बैठकर अपने दिमाग को शेक्सपियर या गेल्शवर्थी के नाटकों से भरना पसन्दकरते हैं या कीट्स या शेल्ली की कविताओं से या हार्डि या डिकन्स के उपन्यासों से या सामरसेट मागम में गोता लगाते हैं। ऐसे लोग जरूर महसुसकर सकते हैं कि ऐसे बडे लेखकों की संगतियों में बिताई हुई घडियाँ अमूल्य हैं और छट्टियों को मनोरंजक ढंग से बिताने का एक बेजोड साधन भी है।


छुट्टियाँ भी मित्रों और रिश्तेदारों की संगति में बिताई जा सकती हैं। ऐसी हालात में एक महान मनोवैज्ञानिक तत्व यहाँ एक महत्वपूर्ण काम करता है। मित्रों और रिश्तेदारों के साथ घर से बाहर सपरिचित स्थानों को पयर्टन या पिकनिक जाते समय, ठण्ड से बच्चे के लिए आग सेंकते समय, अपने मन पसन्द बातों की बहस कर सकते हैं या विचार विनियम भी कर सकते है।

व्यस्थ व्यवस्थापक, व्यापारी और कार्यकर्ता आधिक जीवन को स्वस्थ बनाने के लिए अथक परिश्रम करते हैं। शायद उन लोगों के लिए छट्टियों में अपने बाल बच्चों के साथ खेलना ही सर्वोत्तम छद्दी हो सकती है । यह उनके मस्तिष्क को शांति पहुँचाती है जो और कहीं नहीं मिल सकती। 


इस तरह छुट्टी के आनन्द विभिन्न प्रकार से प्राप्त किये जा सकते हैं। चाहे छुट्टी का आनन्द किसी भी प्रकार लिया जाय, हमें यह देखना चाहिये कि छुट्टी का आनन्द लेनेवाला अपने मस्तिष्क को आराम और विश्राम पाँचाये ताकि उसका दिलो दिमाग तरोताजा रहे और रोजमर्रे की समस्याओं को सुगमता से हल करने के योग्य रहे ।