गौं मा सासुन छुयीं लगाई 
Gaon Ma Sasun Chunyi Lagai



सासुन सुरकि गौड़ी पिजाई । 

चुल्लुम जैक खीर पकाई । 

बाड़ी-पल ऊ मीत दयाई। 

बासी-तिबासी मीन खाई। 

गौं मा सासुन छुयीं लगा—

ब्वारिन मीत खाणुक नि द्याई' ।।


जगा-जगा वा इनि बुन्नि राई—

मी कुण व्वारिन थमालि उठाई, 

त्यार पुगड़क साग चुराई। 

वोंक गौड़क दूध पिजाई। 

सासू रांडकि टुटकी ह्वाई।

गों मा सासुन छ्यों लगाई ।। 


ब्वारी मेरी बिगड़ी ग्याई।

वीन म्यार नाक कटाई। 

दिनभर रैदी जू मान्नी। 

काम नि करदी द्वी इकन्नी। 

ब्वारिक गौं मा थू-थू ह्राई। 

गौं मा सासुन छुयों लगाई।


ख्वारि ते सासू पर गुस्सा आई।

धमेलि खैचिक गुत्थमगुत्था ह्वाई। 

सासुन नगलू-नरसिंघ घुत्याई । 

व्यारी ते सूली पीड़ा ह्वाई। 

स्वाल खैक वीन खुसी मनाई। 

गौं मा सासुन छुयीं लगाई ।।


स्वारी पीड़ान रुणो राई। 

सासुन कपालि पर पिट लगाई । 

घरकि लर्डन मवसि खज्याई। 

जगा-जगा अपणी हंसी उड़ाई । 

रै ग्याई सदानिक हाई-हाई । 

गौं मा सासुन छ्यीं लगाई ।।