फिर भि नौंन काम नि आई
Phir Bhi Noun Kaam Ni Aai



उबरक चुल्लम पैदा ह्वाई। 

डॉक्टर बैद क्वी नि राई। 

ग्या खी दिन स्वीलकुड़ सुजाई । 

अपणुन झगलू-टुपलू द्याई। 

फिर भि नोंन काम नि आई।।


ल्वानिन जपकैक माँगल लगाई। 

दासुन सर्रा राति पंडौं नचाई। 

गाँव मा गुड़कि डली बंटाई। 

नौंन हेगे ढिंढोरु पिटाई।

फिर भि नौन काम नि आई ।। 


बेटी दौड़ेक बामण बलाई। 

ऊँन झटपट पातुड़ चिनाई। 

दस हाथुक जन्म-पत्री बणाई, 

गिच्चकि रुट्टि मीन वे तैयाई। 

फिर भि नौंन काम नि आई ।।


नाज बेचिक बी०ए० कराई । 

पैसा कमाणकू परदेस भगाई। 

दस बरसूम जब घर आई। 

पैसा-पाई उ धिला नि लाई।

फिर भि नौंन काम नि आई। 


वैन मीत सिवा जि लगाई। 

मीन वेकी भुक्की प्याई। 

फिर भि वैन मुख नि लगाई। 

बाबू बणाई मीन बाबू बणाई। 

फिर भि नौंन काम नि आई ।।


जिकड़ी मेरी कॉमणी राई। 

नाज-पाणी कुछ नि ह्वाई। 

घरम ग्यूक आटु नि राई। 

जठाणिक घरन चून मँगाई।

फिर भि नौंन काम नि आई ।। 


मीन चून कि रुट्टि बणाई। 

वेन ब्वालि-'मम्मी वट'? 

मीन ब्वालि-'चुनक र्वट' । 

जरा खिजेक वेन ब्वालि-'मम्मी वट इज दिस' ? 

मीन ब्वालि-बेटा राम! 

तीन भी खाण त लण-मर्च पीस ।।