म्यार सम्बन्ध मा सुचिन
Myar Sambandh Ma Suchin
कभि के तै भूली-बिसरिक,
मेरी याद ऐ जाऊ,
त ऊँ कुण मेरी नेक सला-सुझाव छ कि—
उ अपण कंदुणूं
तैईस-द्व सग्रस्त,
मतलबपरस्त,
गुमराह लोगुक कूड़ा-कर्कट कुण—
खुल राखणक बजाय,
यदि सही सुचण चाउन,
त इन सुचिन कि—
यु इन व्यक्तित्व छ,
जु हमेसा अभाव, उपेक्षाग्रस्त रैक,
प्रवास की पीड़ा सैक,
तन से भैर अर मन से गढ़वाल मा ही राई,
येक दिल-दिमाग अर कलमन,
उत्तराखंडक सृजन काई,
यु वे कुण हँसी, वे कुण रबाई।
ये से ऐथर सोचि सकिल, त सुचिन—
'यु एक चरित्रवान, स्वाभिमानी, व्येनिस्ठ, आदर्सवादी छ ।
दीन-दुर्बल कू साथी छ।
विसुद्ध मानवतावादी छ ।
जैतै आत्म-विज्ञापन आत्म-प्रदर्सन की भूखनी छ ।
जु सब कू हित चाँद ।
सब का वास्ता सबर-साम, प्रभु से कुसलता मनाँद ।
'धियो यो नः प्रचोदयात्',
यनि 'सब तै सन्मति दे भगवान' कू जाप कन्नू रैद।
0 Comments