मेरी पछाण
Meri Pachan



प्रेम-पयोनिधि मा – 

ऊमिल ह्वाई तरंगित, 

प्रियभाव क् प्रतिरूप—

प्रीति छ राग-रंजित ।।


मन-पंकज हर्षित-विकसित, 

परम प्यार कू पारावार । 

प्रभु कृपा अपरम्पार,

यू प्रेम कु प्रिय संसार ।। 


प्रेम-पंकज प्रफल्लित आज, 

प्रेर्मोमिल उत्ताल-उमंग । 

प्रेम-प्रीति चहक-महक प्रबल, 

हर्मोल्लसित सब संग-संग ।।


प्रिय कै तै साधना-अमर, 

गीत-संगीत के कू छ स्वर। 

क्वी मोहित रूप-रंग पर सुन्दर,

यू प्रेम प्रेम पर छ निर्भर ॥ 


ग्या जिंदगी प्रेम से निखर-निखर । 

मन हाई हिमालय कू निर्झर । 

हृद स्वच्छ सरद ससिकर । 

यू प्रेम प्रम पर छ निर्भर ।।


कै कू पद-पैसा ही प्रियतर, 

के कू स्वर्ग-अवर्ग दुस्कर।

के कू गाड़ी-बंगला हितकर, 

यू प्रम प्रम पर छ निर्भर ॥