हिम्मत रख 
Himmat Rakh



किस्मत कूद्वार, खुलल त्यार भि जरूर, 

जरा क्वी द्वार, खटकक त देख । 

चोटी पर चड़ी गेन चरण ऊँक, 

जु सौ बार टुटिक भि बैठी नेन घबरैक । 

क्यो क लोगुक बातुन दुःखो हंदि तू, 

इन क्वा जैतं जमान हंसी नो दुःख देक? 

मन-बुद्धि अर कम क समन्वय कर, 

जिदगी ना ठेल अक्ल उधार लेक । 

लोग ज बन्न छन, वेकी परबा न कर, 

बस तू काम कर, दिन ना बिता सेक ।