औंसिक रात 

Onsik Raat





औंसिक रात छ, 

ते मौक झपडि पर—

जरूर क्वी बात छ। 

चल दगिड्या, देखि औला। 

पर इखुखि कनकक जौला? 

तै कल्लू तै बाट लगा—

छिल्लू पर आग लगा। 

रूणक उखन आवाज आणी।

न जाणी कु छ उ प्राणी।

हाय ! चुचि, ते कू यु बारौं नौनु हवेगे! 

परिवार नियोजन यूकुण कख रै गे? 

औंसिक रातक यु कृष्ण कन्हैया, 

रूणू थुड़ा छ, बुन्नू छ—

दूदि पिला मैय्या!