बागवानी का आनन्द
Bagwani Ka Anand
आदम और हव्वा प्रथम पुरुष एवं स्त्री थे जिन्होंने सबसे पहले बागवानी प्रारम्भ की थी। वह इडेन के बगीचे में रहा करते थे। अत: बागवानी मनुष्य की स्वाभाविक' गतिविधि है। यह समय व्यतीत करने का एक अच्छा साधन है। बागवानी करना लम्बे समय तक चलने वाली एक लाभदायक गतिविधि है।
हमारे खाली समय में यह हमें बहुत ही सार्थक ढंग के कार्य में व्यस्त रखती है। बागवानी एक अच्छा शारीरिक व्यायाम भी है। यह मेहनत की गरिमा जानने का एक अच्छा व्यायाम है। मिट्टी की गुड़ाई, पौधे लगाना, खरपतवार निकालना खाली समय के लिए एक अच्छा व्यायाम है। दफ्तर में सारा दिन काम करने के बाद बहुत से महान लोग जैसे विंस्टन चर्चिल, प्रेसिडेन्ट केनेडी व पं० जवाहर लाल नेहरू भी 'बागवानी' में रुचि रखते थे। नेहरू का कहना था कि जेल में भी उन्हें इस इच्छा को पूरा करने की सुविधा प्रदान की गई थी। बहुत से विद्यालयों में बागवानी विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। बागवानी विधिवत् शिक्षा के बिना भी सीखी जा सकती है। नियमित एवं लगातार कोशिश हमें निपुण बनाती है। टी.वी. पर भी इस विषय पर विचार-विमर्श दिए जाते हैं। इस विषय पर बहुत-सी किताबें मिलती हैं। पत्रिकाओं में भी अक्सर बागवानी सम्बन्धी लेख छपते हैं।
हम अपने खाली समय में फूल, फल, सब्जियाँ उगा सकते हैं। यह तनाव, चिन्ताओं एवं मानसिक थकान को दूर करता है। बहुत ही खुशी व आनन्द प्रदान करता है। पैड़-पौधों की प्रेम से व लगन से देखभाल करनी चाहिए। ऐसा करने से हमें बहुत ही खुशी मिलेगी। यह बहुत ही आनन्द व सुख का स्रोत है। यह हमें प्रकृति के प्रेम से तथा फलों व पक्षियों से जोड़ता है। वातावरण में ताज़ी हवा एवं सुगन्ध भरता है। प्रकृति तथा प्राकृतिक वस्तुओं का प्रभाव हमेशा प्रेरणाप्रद, स्वास्थ्यकारक, लम्बे समय तक प्रभावकारी तथा लाभदायी होता है। प्रकृति बहुत-सी बातों का प्रेरणा स्रोत है। बहुत से महान कवि तथा लेखक प्रेरणा के लिए सदैव प्रकृति की ओर उन्मुख रहते थे। प्रकृति के नजदीक रहने का सर्वोत्तम उपाय बागवानी है।
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