टेलीविजन का महत्व 
Television Ka Mahatva

टेलीविजन एक महान आविष्कार' है। यह विज्ञान का बहुत ही महत्त्वपूर्ण उपहार है। इसकी खोज सन् 1926 में जे. एल. बर्ड के द्वारा की गई थी। थोड़े ही समय में दूरदर्शन बहुत प्रसिद्ध हो गया। इसमें विभिन्न चैनल्स होते हैं व 24 घण्टे कार्यक्रम जारी रहते हैं। हम अपनी पंसद का चैनल चुन सकते हैं। दूरदर्शन के माध्यम से अपने घर में आराम से बैठकर पूरे विश्व की जानकारी ले सकते हैं। 

यह शिक्षा का बहुत ही सस्ता व सरल माध्यम बन गया है। इससे जानकारी तथा मनोरंजन होता है। आज रंगीन टी.वी. का आकर्षण बहुत बढ़ गया है। टी.वी. पर खबरें, खेलकूद, फिल्में, गाने एवं जादू के कार्यक्रम व धार्मिक कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। टी.वी. पर सभी के लिए, हर समय प्रोग्राम आते हैं। बड़े-बूढ़ों, बच्चों सभी के लिए कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्रियों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें विकल्प' की कोई सीमा नहीं है। आज स्त्री-पुरुष अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय टी.वी. देख कर व्यतीत करते हैं। बच्चों के लिए अपने अलग ही आकर्षण होते हैं। बच्चों में कार्टून्स पसन्द की जाती है।

टी. वी. पर प्रसारित कोई भी संदेश व खबर उसी क्षण हजारों-लाखों लोगों तक पहुँच जाती है। टी.वी. पर दी गई शिक्षाएँ सुग्राह्य हो जाती हैं। उनमें ध्वनि और दृश्य इकठे होने के कारण वह रुचिकर हो जाता है। बच्चों के जीवन पर उसका विशेष प्रभाव पड़ता है। दूरदर्शन ने प्रत्येक व्यक्ति तक शिक्षा के महत्त्व को पहुँचा दिया है। शिक्षा के क्षेत्र में टी.वी. का योगदान अतुलनीय है। इसकी पहुँच देश के कोने-कोने तक है। यह वयस्क शिक्षा का अच्छा माध्यम तथा अज्ञानता को दूर करने का एक साधन है।

केबल के कारण इसकी उपयोगिता और भी बढ़ गयी है। इस पर फिल्में, गाने, नाटक, डांस, क्वीज व अन्य बहुत से कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। यह करोड़ों लोगों की पसंद व मनोरंजन का एक स्रोत है। आज मनोरंजन के लिए लोगों को अपने द्वारों से बाहर नहीं जाना पड़ता।

टेलीविजन का एक दूसरा पक्ष भी है; इसके मिले-जुले लाभ हैं। टेलीविजन ने हमारी जीवन की गति को खत्म कर दिया है। यह निष्क्रिय मनोरंजन का साधन है। दर्शकों का इसमें सक्रिय योगदान बहुत कम होता है। इसलिए इसे बुद्ध बक्सा का दरजा दिया जाता है। लोग घण्टों-घण्टों टी.वी. के सामने मूर्ख बनकर बैठे रहते हैं। इसका हमारे शरीर एवं दिमाग पर बहुत असर पड़ता है। यह हमारी आँखों पर बुरा प्रभाव डालता है। बच्चे टी. वी. के कारण अपनी शिक्षा से जी चुराते हैं। घटिया फिल्मों के प्रभाव से युवा स्त्री-पुरुष का जीवन बरबाद हो रहा है। वह हिंसा, दुर्व्यवहार तथा समाज विरोधी कार्य कर रहे हैं। टी.वी. पर विज्ञापन का प्रदर्शन देख कर लोगों को चीजें खरीदने में बहुत सहायता मिलती है।

टी. वी. को कुछ निश्चित समय के लिए देखना चाहिए। यह एक अच्छा सेवक है लेकिन बुरा मालिक है। हमें उसका गुलाम नहीं होना चाहिए। टेलीविजन का आकर्षण हानिकारक होता है।