भारतीय त्योहार
Bharatiya Tyohar
भारत मेलों और त्योहारों का देश है। शायद ही ऐसा कोई दिन हो, जिस दिन भारत के किसी कोने में कोई त्योहार या कोई मेला न हो। ये त्योहार भारत व भारतवासियों को रंगीन बनाते हैं। ये त्योहार लोगों की जीवन के प्रति रुचि को दर्शाते हैं। त्योटा प्रतिदिन के नियमित जीवन में रंग, रुचि व विभिन्नताएँ भरते हैं। विभिन्नताएँ जीवन में मसाले की तरह होती हैं और प्रकृति के नियम को बदलती हैं। मनुष्य बदलाव, श्रेष्ठता व नई वस्तुओं से प्रेम करता है। त्योहारों पर लोग छुट्टियाँ मनाते हैं। और इस प्रकार व्यक्ति को अपने नियमित जीवन से छुटकारा मिलता है
और वह अच्छा भोजन तथा नए वस्त्रों का आनन्द लेता है। लोग त्योहारों की बड़ी व्याकुलता के साथ प्रतीक्षा करते हैं। वैसे तो सभी को उत्सुकता होती है परन्तु बच्चे त्योहारों की प्रतीक्षा में अधिक व्याकुल होते हैं। इन त्योहारों पर बहुत सारी मिठाइयाँ व नए वस्त्र पहनने के लिए होते हैं। विद्यालय बन्द रहते हैं और चारों तरफ आनन्द रहता है।
भारतीय त्योहार मौसमों पर आधारित हैं। वे मौसम में परिवर्तन के अनुसार आते हैं। होली रंगों का व खुशियों का त्योहार है। यह मार्च में आता है जब प्रकृति अपनी चरम सीमा पर होती है व मौसम सुहावना होता है। दीपावली शीत-ऋतु के आरम्भ में अक्टूबर-नवम्बर में होती है। दशहरा दीपावली से पहले अक्टूबर में आता है व यह वर्षा ऋतु के अन्त में पड़ता है। क्रिसमस 25 दिसम्बर को होता है व इसके पश्चात् पहली जनवरी को नववर्ष का आगमन होता है। दुर्गा पूजा, सरस्वती पूजा, रक्षा-बन्धन, ईद-उल-फितर, मुहर्रम, ओणम्, महावीर जयन्ती, राम नवमी, बुद्ध पूर्णिमा, स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस आदि अन्य त्योहार हैं। इसके अतिरिक्त और भी त्योहार व मेले हैं।
मुहर्रम मुसलमानों का त्योहार है। यह हुसैन की ऐतिहासिक लड़ाई व मृत्यु की याद में मनाया जाता है। दुर्गा पूजा बंगाल व उड़ीसा में अधिक प्रसिद्ध है। इन दिनों ब्रह्मांड माता देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और उनकी मूर्तियों को नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाता है। ओणम् केरल में बड़ी धूमधाम से अगस्त-सितम्बर में मनाया जाता है। गणगौर राजस्थान में मार्च-अप्रैल में मनाया जाता हैं जिसमें स्त्रियाँ देवी पार्वती की पूजा करती हैं व व्रत रखती हैं। इस अवसर पर खूब खुशियाँ मनाई जाती हैं और गीत व नृत्य के कार्यक्रम होते हैं। भगवान जगन्नाथ की रथ-यात्रा भी बहुत धूम-धाम से मनायी जाती है। मुख्य त्योहार व यात्रा का आयोजन पुरी में जून-जुलाई में होता है, जिसमें एक बड़े से रथ पर भगवान् जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा को बड़े जुलूस के साथ निकाला जाता है।
शिवरात्रि फरवरी-मार्च में होती है। लोग व्रत रखते हैं व शिवजी की पूजा करते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी, गुरु-परब, बैशाखी आदि भी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। ये त्योहार विभिन्नता में एकता दर्शाते हैं।
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