महात्मा गाँधी निबंध
Mahatma Gandhi
महात्मा गाँधी से सब परिचित हैं। भारत में सभी उन्हें भली-भाँति जानते हैं। उनकी तसवीरें व चित्र सभी स्थानों पर पाए जाते हैं। उनकी मूर्ति देश में जगह-जगह स्थापित है। बहुत-सी सड़कों, मोहल्लों एवं संस्थाओं के नाम महात्मा गाँधी के नाम से अंकित हैं। हम सभी विशाल स्तर' पर उत्सवों में भाग लेकर उनका धन्यवाद करते हैं। पर वह इन सभी चीज़ों से बहुत ऊँचे हैं।
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय पिता के नाम से भी जाने जाते हैं। वह बहुत ही साधारण, सत्यप्रेमी, मेहनती व सत्य व धर्म में विश्वास करने वाले इन्सान थे। उनका कथन था कि भगवान् व सत्य एक ही हैं। उन्होंने ईश्वर को मानवता का कष्ट सहन करते हुए, उसे अपना खन-पसीना बहाते एवं कठोर परिश्रम करते हए देखा था। वह सत्य के लिए ही जीए व सत्य के लिए ही उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। उन्होंने स्त्रियों, हरिजनों व निर्धन व गरीब किसानों के लिए बहुत काम किया। वह अहिंसा व अस्पृश्यता में विरोध करने वालों के सख्त विरोधी थे, बाल-विवाह, व मदिरापान के वे सख्त ख़िलाफ़ थे।
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को पोरबन्दर में हुआ था। यह दिन गाँधी-जयन्ती के रूप में मनाया जाता है। उनका पूरा नाम मोहन दास करमचन्द गाँधी था, उनके पिता का नाम करमचन्द था, व इनकी माता का नाम पुतलीबाई था। तेरह वर्ष की आयु में इनका विवाह कस्तूरबा नामक स्त्री से हुआ।
वह ऊच्च शिक्षा के लिए लंदन गए थे। वहाँ से वकील बन कर लौटे। तत्पश्चात् वह वकील बनकर साउथ अफ्रीका गए। वहाँ पर उन्होंने सत्य और अहिंसा पर बहुत से सफल प्रयोग किए।
सन् 1915 में वह भारत लौटे तथा आजादी के लिए कठिन परिश्रम में जुट गए। उन्होंने केवल कटि वस्त्र पहन कर अपना बहत ही साधारण जीवन व्यतीत किया। उनका अपना कुछ भी नहीं था। हज़ारों-लाखों भारतीय उनके अनुयायी बन गए व आज़ादी प्राप्त करने के सुदीर्घ प्रयास में अपना योगदान दिया। अन्त में 15 अगस्त, 1947 को उनके नायकत्व में भारत को आज़ादी प्राप्त हुई।
30 जनवरी, 1948 में गाँधीजी को एक पागल आदमी ने अपनी गोली से मृत्यु के घाट उतार दिया। इस हादसे से पूरे देश में दु:ख और अन्धेरा छा गया। गाँधी जी का तो निधन हो गया लेकिन सत्य व अहिंसा आज भी जीवित है। वह हमेशा हमारा मार्गदर्शन करेगी।
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