मेरा परिवार 
Mera Parivar

निबंध नंबर :- 01

मेरा परिवार छोटा है, क्योंकि मेरे माता-पिता दो बच्चों के परिवार में विश्वास रखते हैं। वे उच्च शिक्षित हैं। हमारे परिवार में मेरे माता-पिता, मेरी छोटी बहन निवेदिता और मैं हूँ। वह मुझसे पाँच वर्ष छोटी है। हाँ एक सदस्य और है हमारे परिवार में। वह है मेरा प्यारा कुत्ता डॉट। मेरी बहन और मैं एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं। हम एक साथ स्कूल बस से जाते हैं। हम दोनों को एक-दूसरे का साथ अच्छा लगता है। मैं अपने से भी ज्यादा निवेदिता को प्यार करता हूँ। मैं उसे नैतिक शिक्षा व परियों की लघु कथाएँ सुनाता हूँ। हम एक ही कमरे में रहते हैं।

मेरे पिताजी विश्वविद्यालय में प्रवक्ता' हैं। वह हमेशा अपने विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर जाँचने व पढ़ने में व्यस्त रहते हैं। वह प्रश्नपत्र भी बनाते हैं। विश्वविद्यालय से परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं उनके पास जाँचने के लिए आती हैं। परन्तु वे फिर भी हमारे लिए समय निकाल लेते हैं। वे हमें पढ़ाते भी हैं। जब हम एक साथ होते हैं तो खूब मज़े करते हैं। हमारी माताजी भी हमारे साथ होती हैं।

मेरी माताजी मुख्य पुस्तकालाध्यक्ष हैं। परन्तु अभी-अभी उन्होंने अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया है। वो हमें व हमारे पिताजी को अधिक समय देना चाहती हैं। मेरी माताजी बहुत प्यारी व देखभाल करनेवाली हैं। वो हमें खुश देखने के लिए कठिन परिश्रम करती हैं। वह हमेशा व्यस्त रहती हैं, फिर भी कभी उदास नहीं होती।

हमारे परिवार के सब सदस्य एक-दूसरे के लिए बने हैं। हमारा पालतू कुत्ता डॉट हमेशा हमारी सुरक्षा के लिए तैयार रहता है। वह कभी अपने जीवन के बलिदान के लिए हिचकिचाता नहीं है। हम उस पर गर्व करते हैं व उसकी अच्दी देखभाल करते हैं। वह बहुत वफादार व चौकस रहता है।

हमारी जीवन-शैली बहुत उत्तम है। हमारे पास सभी आधुनिक सुविधाएँ हैं। परन्तु हम भौतिकवादी नहीं हैं। मेरी माताजी बहुत दयालु व सहनशील हैं। हम अपने मकान में रहते हैं। मेरे विचार से मेरा परिवार एक आदर्श परिवार है। मैं वाकई में अपने परिवार पर गर्व करता हूँ। यहाँ प्यार, शान्ति व समझदारी है। कभी-कभी हमारे बीच में अलगाव होता है, परन्तु वह हमारा जीने का तरीका है व शीघ्र ही हमारी गलतफहमियाँ दूर हो जाती हैं।



मेरा परिवार 
Mera Parivar

निबंध नंबर :- 02 


मेरा परिवार एक साधारण मध्यवर्गीय परिवार है। हम लोग दो भाई-बहन है। मेरी बहन मुझसे छोटी है। वह पाँचवी कक्षा में पढ़ती है। मेरे पिताजी भारतीय स्टेट बैंक में कार्य करते है। मेरी माँ एक आदर्श गृहिणी है। 

हमारे परिवार में दादा-दादी भी है परंतु वे हमारे साथ नहीं रहते। वे लोग अपने गाँव के मकान में रहते है। हम लोग छुट्टियों में इनसे मिलने गाँव जाते है। दादा-दादी कभी-कभी हमारे पास भी आते है। इनका साथ हमें बहुत अच्छा लगता है। मेरे पिताजी समय के बहुत पाबंद है। वे प्रतिदिन सुबह पाँच बजे उठकर टहलने जाते है। 

अत्यधिक सरदी के दिनों को छोड़कर हम लोग भी उनके साथ प्रातः भ्रमण पर जाते है। वहाँ से आकर हम लोग नहाते-धोते है और नाश्ता करते है। फिर पिताजी बैंक चले जाते है और हम दोनो भाई-बहन अपने-अपने विद्यालय चले जाते है। माँ हमारे लिए सदा काम में लगी रहती है। वह हमारे लिए नाश्ता बनाती है तथा दोपहर में खाने के लिए टिफिन देती है। माँ के हाथ का खाना बहुत पवित्र और स्वादिष्ट होता है। 

हमारा घर बहुत साफ-सुथरा रहता है। घर साफ सुथरा रखने के लिए माँ और पिताजी काफी मेहनत करते है। इस कर्य में हम दोनों भाई बहन भी उन्हे सहयोग प्रदान करते है। शाम के समय जब पिताजी बैंक से लौटते हैं तो हम लोग साथ बैठकर नाश्ता करते है तथा रात का खाना भी एक साथ खाते है। 
रात का खाना प्रतिदिन नौ बजे होता है तथा रात दस बजे तक हम लोग सो जाते है। इस प्रकार हमारे परिवार की दिनचर्या बहुत अनुशासित है। प्रतिदिन एक घंटे से अधिक टी. वी. देखने की हमें इजाजत नहीं है। खेल के समय में खेल और पढ़ाई के समय में पढ़ाई इस बारे में हमारे परिवार का नियम बड़ा पक्का हैं। हमारा परिवार एक आर्दश परिवार है। हम सभी एक दूसरे से प्यार करते है। 

जब हम कभी बीमार पड़ते हैं तो माँ और पिताजी बहुत चिंतित हो जाते है। इस समय दोनों हमारा बहुत ख्याल रखते है। माँ तो सब काम छोड़कर हमारी सेवा में लग जाती है। आवश्यकता पड़ने पर पिताजी बैंक से छुट्टी ले लेते है। हमारे परिवार का सभी पड़ोसियों से बड़ा ही मधुर संबंध है। सबसे बडी बात तो यह कि हमारा कभी भी किसी पड़ोसी से लड़ाई झगड़ा नहीं हुआ। मेरी माँ आवश्यकता पड़ने पर पड़ोसियों की मदद करने में हमेशा तत्पर रहती है। पड़ोस में कोई भी उत्सव हो, उसमें मेरे परिवार की भागीदारी अवश्य होती है। 

हमें दादा-दादी का साथ बड़ा अच्छा लगता है परंतु पिताजी की नौकरी इसमें बाधक बन जाती है। जब भी दादा जी हमारे साथ होते है. हमें रोज एक कहानी सुनाते है। उनके साथ घूमने-फिरने का मजा ही कुछ और होता है। दादी जी हम दोनों भाई-बहनों के लिए रोज ही कुछ नया पकवान बनाती है। गाँव में उनके पास जाकर रहना हमारे लिए बहुत आनंददायी अनुभव होता है। दादा जी हमें गन्ने के खेतों में ले जाते है तथा गन्ने का ताजा रस पिलाते है। 
हरे-भरे खेतों में घूमना, तालाब में नहाना तथा खुले मैदानों में खेलना मुझे बहुत अच्छा लगता है। जब गाँव से वापस शहर आना होता है तो बुरा लगता है। मेरे परिवार की कुछ अन्य विशेषताएँ भी है। हम लोग पूर्णतया शाकाहारी है। मेरे परिवार में भोजन की शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। हरी शाक-सब्जियाँ, फल और दूध-दही हमारे दैनिक भोजन के अनिवार्य अंग है। मेरा परिवार ऊर्जा की बचत का विशेष ध्यान रखता है। हम लोग जल की बर्बादी के भी सख्त खिलाफ है। बिजली की बर्बादी न हो, पिताजी इसका विशेष ध्यान रखते है। 

इन अच्छी बातों की आदत हमे भी पड़ गई है। हमारा परिवार एक खुशहाल परिवार है। सभी सदस्यों का अच्छा स्वास्थ, अनुशासनप्रियता तथा विनम्रता इस खशहाली हा राज है। हमें ईश्वर का पूर्ण विश्वास है। यह हमारे परिवार की शक्ति है।