रवीन्द्रनाथ टैगोर निबंध
Ravindra Nath Tagore


प्रसिद्ध कवि, दार्शनिक एवं चित्रकार रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 8 मई, सन् 1861 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिताजी का नाम महर्षि देवेन्द्रनाथ व माता का नाम शारदा देवी था। उनके माता-पिता धनी व उच्च स्तर के व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी शिक्षा किसी स्कूल व कॉलेज जाए बिना ही घर पर की। वह एक बुद्धिमान वक्ता थे। अपनी योग्यता' के कारण वह बहुत छोटी उम्र से कविताएँ लिखने लगे। वह सर्वगुणी महान कवि, आलोचक, दार्शनिक, कला प्रेमी, संगीतज्ञ व एक नाटककार थे। वे विभिन्न प्रकार के कार्यों में विशेषज्ञ थे। वे एक महान देशभक्त थे तथा अपनी कविताओं के लिए सारे संसार में जाने जाते हैं। उनकी सुन्दर कविताओं को संसार में आज भी पढ़ा और सराहा जाता है। 52 वर्ष की उम्र में उन्हें अपनी कविता 'गीतांजलि' के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे पहले भारतीय ऐशियाई थे जिन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पूरे देश के लिए गर्व की बात थी। उनकी कविता गीतांजलि का अनुवाद संसार की प्रमुख भाषाओं में किया गया है। उन्होंने अपनी कविताओं में भारतीय सभ्यता का बहुत ही अच्छा वर्णन किया है। उन्होंने संसार के बहुत से देशों का भ्रमण किया और भारतीय संस्कृति, धर्म और कला के क्षेत्र में लोगों का मार्गदर्शन किया। वह एक बहुत ही महान शिक्षक व समाज-सुधारक थे। उन्होंने सभी विषयों पर लिखा। उनकी कविताएँ ज्यादातर बंगला भाषा में पाई जाती हैं। उन्होंने बहत। से नाटक व लघु कथाएँ लिखीं। गीतांजलि के अतिरिक्त उनकी कविताएँ राजा और रानी, विनोदिनी, कल्पना, चित्रांगना आदि प्रसिद्ध हैं। उनका शान्ति निकेतन, बाद में विश्व भारती, एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय व ज्ञान का केन्द्र बन गया। वह एक आदर्श इन्सान थे और सभी इन्सानों से प्रेम करते थे। उन्होंने हमारा राष्ट्रगान जन-गण-मन लिखा। वह देशभक्ति और राष्ट्रीय गीत के रचयिता थे। 8 अगस्त, सन् 1941 को भारत माता के इस सपूत का स्वर्गवास हो गया। उनके काम व विचारधारा को आज भी याद किया जाता है। उन्हें अपने देश व देशवासियों से बहुत ही प्रेम था। वह चाहते थे कि राष्ट्रीयता कभी संकीर्ण । न हो। उन्होंने गाँधीजी को सर्वप्रथम महात्मा कहकर संबोधित किया था।

हमें टैगोर के आदर्शों व शिक्षाओं का अनुकरण करना चाहिए। हर साल उनकी याद में उनका जन्मदिन मनाया जाता है। उनके नाटकों का आज भी प्रदर्शन किया जाता है। उनकी कविताएँ व गीत सुने तथा गाए जाते हैं। देश के नागरिक उस महान इन्सान, कवि व सन्त को याद करते हैं।