मेरी आत्मकथा
Meri Atamakatha
मैं एक लड़का हूँ। मैं दस वर्ष का हूँ। मेरा नाम 'अर्जुन' है। 'अर्जुन' का अर्थ है- 'सफ़ेद, चमकदार और दाग़ रहित'। इसका दूसरा अर्थ है-शुद्ध और गौरवपूर्ण, अर्जुन' महाभारत का बहुत बड़ा 'योद्धा' था। मुझे अपने नाम पर गर्व है। मेरे दादाजी ने मुझे यह नाम दिया। मुझे अर्जुन के बारे में बहुत-सी कहानियाँ पता हैं।
मैं चंडीगढ़ में रहता हूँ। यह एक सुन्दर शहर है। यह पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। मेरी माता अध्यापिका है। मेरे पिताजी बैंक अधिकारी हैं। मेरा एक भाई और एक बहन है। मेरा भाई मेरे से चार साल छोटा है लेकिन मेरी बहन मुझ से बड़ी है। मेरे भाई का नाम आशीष है।
हम अपने घर में रहते हैं। यह बड़े लॉन और छोटे-से बगीचे वाला सुन्दर घर है। मैदान में हमारे लिए झूले और सलाइड्स लगे हैं। यहाँ पर बहुत सारे फूलों वाले पौधे और पेड़ हैं। मेरी माताजी को बागवानी पसन्द है। मेरे पिताजी और मैं भी बागवानी में सहायता करते हैं।
मैं स्कूल बस से विद्यालय जाता हूँ। स्कूल हमारे घर से लगभग चार किलोमीटर दूर है। मेरे भाई और बहन भी इसी स्कूल में पड़ते हैं। यह एक पब्लिक स्कूल है। मैंने स्कूल में बहुत सी बातें सीखी हैं। हम स्कूल में खेल खेलते हैं।
मेरे बहुत सारे मित्र हैं। लेकिन सरला मेरी सबसे अच्छी मित्र है। वह मेरी सहपाठी' है। वह सुन्दर और बुद्धिमान है। कभी-कभी वह मेरे घर आती है। मैं भी छुट्टियों में उसके घर जाता हूँ। उसकी माताजी एक घरेलू महिला हैं। उसके पिता एक बड़ी कम्पनी में अधिकारी हैं।
बड़ा होने पर मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ।
0 Comments