मेरा शौक 
My Hobby

प्रत्येक व्यक्ति का शौक होता है। मेरे पिताजी को पढ़ने का शौक है। मेरी माताजी को बागवानी पसन्द है। शौक बहुत ही रुचिकर कार्य है। यह व्यक्ति को आनन्द देता है। यह जिन्दगा को खुशियों से भर देता है। यह खाली समय में किया जाता है, पैसे या जीने के लिए नहीं। डाक टिकट संग्रह करना मेरा शोक है। मैं डाक टिकट संग्रह करने में बहुत खुशी महसूस करता हूँ। मेरे पास डाक टिकटों से भरी हुई दो बड़ी संग्रह पुस्तिकाएँ हैं। जब मैं केवल पाँच वर्ष का था तभी से मुझे यह शौक है। मेरे पिताजी ने मेरे पाँचवे जन्म दिवस पर डाक टिकटों का एक बढ़िया संग्रह दिया था। उस समय से मैंने बहुत सारे डाक टिकटों का संग्रह किया है। इनमें से कुछ दुर्लभ हैं।

मेरे पास कई देशों के डाक टिकट हैं। यह अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, जर्मनी, रूस, चीन, मलेशिया, श्री लंका, नेपाल, अरब देश तथा भारत के डाक टिकट हैं। परन्तु मेरे पास सबसे ज्यादा संग्रह भारत के टिकटों का है। मेरे मित्र मुझे डाक टिकट देते हैं। मैं उनसे डाक टिकट का आदान-प्रदान करता हूँ। मेरी आंटी अमेरिका में रहती हैं। वह मुझे वहाँ से डाक टिकट भेजती है।

यह डाक टिकट बहुत सुन्दर और रंग-बिरंगे हैं। यह अपने-अपने देशों की कहानियाँ कहते हैं। इनकी सहायता से मैं आसानी से इन देशों का इतिहास, भूगोल और संस्कृति की झलक देख सकता हूँ। मैं अपना खाली वक्त इन डाक टिकटों को क्रमबद्ध करने तथा पढ़ने में व्यतीत करता हूँ। मेरी माँ भी इस विषय में मेरी सहायता करती हैं।

मैं अपना जेबखर्च डाक टिकट खरीदने में खर्च करता हूँ। जब कभी शहर में डाक टिकट की प्रदर्शनी होती है, मैं अपने पिताजी के साथ इसे देखने जाता हूँ। इस प्रकार की प्रदर्शनियों में बहुत भीड़ होती है। इन प्रदर्शनियों में जाना बहुत रोचक और शिक्षाप्रद होता है।

इस शौक को फिलैटॅली कहते हैं। यह शब्द शुरू में याद करने में कठिन लगता है। लेकिन अब मुझे याद हो गया है। डाक टिकट संग्रह करने वाले व्यक्ति को फिलैटॅलिस्ट कहते हैं।