मैंने गर्मियों की छुट्टियाँ कैसे बितायीं
Mene Garmiyo ki Chuttiya kaise Bitayi
हमें हर साल अक्सर जून के महीने में गर्मियों की छुट्टियाँ होती हैं। छुट्टियों से एक दिन पहले हर कोई कहता है, 'स्कूल बंद, छुट्टियों का लो आनन्द।' इस बार की इन छुट्टियों में मैं अपनी मम्मी के साथ शिमला गया। वहाँ मेरे नाना-नानी और मामा-मामी रहते हैं। मैं छुट्टियों का काम अपने साथ ले गया। मेरे मामा जी सुबह मुझे और मेरे ममेरे भाई को छुट्टियों का काम कराते और रोज़ शाम को कहीं न कहीं घुमाने ले जाते। शिमला शहर के मध्य एक बड़ा और खुला स्थान 'रिज' है जहाँ से ऊँची-ऊँची चोटियों के दृश्यों ने मेरा मन मोह लिया। रिज के समीप ही 'लक्कड़ बाज़ार' है। जहाँ से मैंने लकड़ी की बनी चीजें और स्मृति चिह्न खरीदे। वहाँ मैंने इंस्टीच्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज़ सेंटर भी देखा जोकि एक प्रतिष्ठित शोध संस्थान है। इसके अतिरिक्त वहाँ के काली बाड़ी मंदिर, जाखू मंदिर आदि भी बहुत मनमोहक हैं। जाखू मंदिर तो शिमला की सबसे ऊँची चोटी पर है, जहाँ से शहर का सुंदर नज़ारा देखा जा सकता है। सचमुच, मैंने पहले इस तरह की प्राकृतिक सुंदरता के दर्शन कभी नहीं किये थे। छुट्टियाँ समाप्त होने से तीन दिन पहले हम लोग अपने घर वापिस आ गये, किंतु गर्मियों की छुट्टियों में शिमला में बिताए दिन मेरी यादों के अभिन्न अंग बन गये हैं।
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