रामलीला देखने का अनुभव
Ramlila Dekhne Ka Anubhav
मैंने पहले कभी रामलीला नहीं देखी थी। इस बार मैंने अपने मित्रों के साथ रामलीला देखने का कार्यक्रम मनाया। हमारे घर से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर ही रामलीला का आयोजन होता था। रामलीला 9:30 बजे शुरू होती थी किंतु हम रोज़ाना 9 बजे ही जाकर बैठ जाते थे। पहले दिन श्रवण कुमार व राम जन्म से संबंधित दृश्य दिखाए गए जो मुझे बहुत अच्छे लगे। दूसरी रात सीता स्वयंवर, लक्ष्मण-परशुराम संवाद दिखाया गया। तीसरी रात्रि में राम वनवास तथा चौथी रात्रि में भरत का राम से मिलन आदि के बड़े ही मार्मिक दृश्य दिखाए गए। पाँचवीं रात्रि में सीता हरण, छठी रात्रि में राम का सुग्रीव और हनुमान से मिलन, राम द्वारा बाली का वध, हनुमान का लंका में जाकर रावण से संवाद व लंका दहन के दृश्यों को बखूबी पेश किया गया। सातवीं रात्रि रामलीला की अंतिम रात्रि थी। इस रात्रि को रावण-अंगद संवाद में जहाँ अंगद की वीरता को दिखाया गया वहीं लक्ष्मण-मूर्छा में राम की कारुणिक दशा का सुंदर मंचन किया गया। सारी रामलीला में सभी पात्रों का अभिनय सजीव व स्वाभाविक लगता था। अंतिम रात्रि राम ने रावण को युद्ध में ललकारा और लड़ाई के इसी दृश्य के साथ रामलीला समाप्त हो गई। उसी समय यह घोषणा की गयी कि रामचंद्र द्वारा रावण-वध दशहरा ग्राऊंड में किया जाएगा। मुझे पता ही नहीं चला कि ये सात दिन रामलीला में कैसे बीत गए। मुझे अगले साल फिर रामलीला का इंतज़ार रहेगा।
3 Comments
Dharmendra yadav
ReplyDeleteAn
ReplyDeleteAnaupcharik Patra
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