चिट्ठी
Chitthi
विन्डी दिनों बटी नी आई,
चिट्ठी पतरी तुम्हारी खबर
आँख्यू आँख्यू मा कटी गैन,
दिन रात जेठ की दूफर
कणसू नौनू माडू हुयूँ च,
ससुरा जी श्वासन सकस्याणा छन
हौल तांगो चौक मा धरयूँ च,
वल्द कीला मा खड़ा छन
सासू जी नाती नतेणियूँ घिरोणी,
भैर भीतर रग र्याणा छन
विन्डी.....
हाल क्या-क्या जी तुमतें लिखू मी
घौर बोण इखुलि सम्भलणू मी
दाना वे गैनी सास ससुरा जी
ऊतै भी मी क्या औलणु दियूं जी
काका बोडा अर सोरा तुम्हारा,
पुगड्यूँ का ओडा सरकाणा छन
विन्डी.....
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