सचिन तेन्दुलकर 
Sachin Tendulkar



सचिन रमेश तेन्दुलकर क्रिकेट के इतिहास में विश्व के सवश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिने जाते है। सादगी की प्रतिमूर्ति, बल्लेबाजी का बेताज बादशाह तथा छोटे कद का बड़ा आदमी सचिन तेन्दुलकर मुम्बई के रहने वाले है। उनका जन्म 24 अप्रैल, 1973 को मुम्बई में हुआ। सचिन स्वभाव से ही शर्मीले तथा सौम्य है। उनकी वाणी में मिठास है तथा उनके व्यक्तित्व में सज्जनता स्पष्ट झलकती हैं। जब वह प्रश्नों का उत्तर देते है तो उनकी सहज भावनाएँ झलक पड़ती है। अपनी प्रसिद्धि के बावजूद उनका लड़कपन अभी भी बरकरार है अहंकार दूर-दूर तक उनको नहीं छूता हैं। सचिन कभी-कभी मजाक आदि में भी अपना मनोरंजन करते है।

सचिन क्रिकेट के धुरधर खिलाड़ी है। वे अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर केन्द्रित रहते हैं। चाहे उनके प्रतिद्वनवी उनको कितना ही उकसायें, वे अपना संतुलन नहीं खोते है और इसी गुण में उनकी शानदार सफलता का राज छिपा हुआ है। ऐसा प्रतीत होता हे कि उन्होंने क्रिकेट का खूब अध्ययन किया है और वे यह जानते है कि कब किस प्रकार से उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करना चाहिए। विश्व के प्रत्येक देश में जहाँ पर क्रिकेट एक प्रिय खेल है, सचिन हमेशा ही वहाँ सुर्खियों में रहते हैं उनके चाहने वालों का कहना है कि वे लोगों को निराश नहीं करते है ओर उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरते है। विश्व के प्रसिद्ध खिलाड़ियों के बारे में कुछ कहने से पहले सोचा जा सकता है किन्तु सचिन की महानता का लोहा सभी किसी बिना किसी तर्क के स्वीकार करते हैं। 

विश्व के प्रसिद्ध खिलाड़ी जैसे सनत जयसूर्या, गैरी क्रिस्टन, सईद अनवर और मार्क वॉ भी सचिन से प्रभावित हुए बगैर नहीं रहे है। विश्व कप 2003 जिसका आयोजन दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्बे, कीनिया ने संयुक्त रूप से किया था। उस टूर्नामेंट में सचिन तेन्दुलकर अपने शानदार प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ दि टूर्नामेंट घोषित किए गए थे। सचिन के टेस्ट मैच में 10,000 से भी अधिक रन बन है जो केवल सुनील गावस्कर और एलन बोर्डर ऑस्टेलिया के खिलाड़ी) के बाद तीसरे नम्बर पर जाते है जबकि वनडे में 13,000 से भी ज्यादा रन तथा सबसे अधिक शतक बनाकर नम्बर एक का खिताब हासिल किये हुए है। सचिन स्वभाव से सुशील और सज्जन व्यक्ति है। चाहे वह मैदान में हों या मैदान से बाहर उनके शालीन व्यवहार को सभी सराहते है। हम भारतीयों को भी इस बात पर गर्व है कि सचिन जब तक हमारी टीम में रहे हमारा सिर सदा ऊँचा रहा और हमेशा ही रहेगा । वह सबसे ज्यादा पुरस्कृत खिलाड़ी है। सचिन ने 23 दिसम्बर 2012 को वनडे क्रिकेट से संयास लेने की घोषणा कर दी और 16 नवम्बर 2013 को मुम्बई के अपने अन्तिम टेस्ट मैच में उन्होनें 74 रनों की पारी खेली। मैंच का परिणाम भारत के पक्ष में आते ही उन्होनें टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया।