बुद्धिमान बालक
Buddhimaan Balak
एक छोटा तथा बुद्धिमान बालक एक नहर के किनारे रहता था। एक दिन अचानक उसे एक धीमी आवाज सुनाई दी जो कि उसका नाम पुकार रही थी। ऐसा लगता था कि वह आवाज किसी वृक्ष के नीचे से आ रही है। वह बालक आवाज की दिशा में बढ़ते हुए एक वृक्ष के नीचे पहुँचा तो उसे वहाँ एक काँच की बोतल पडी हुई मिली। उसने बोतल को ध्यान से देखा तो उसे बोतल के अंदर मनुष्य जैसा एक छोटा-सा जीव दिखाई दिया। उस जीव ने बालक से विनती की कि वह उसे बोतल से बाहर निकाल दे।
बालक ने बिना किसी आशंका के बोतल का ढक्कन खोल दिया। बोतल में से धुंआ निकलने लगा और शीघ्र ही धुंए ने एक जिन्न का आकार ले लिया।
"कौन हो तुम?" बालक ने पूछा। "मैं एक जिन्न हूँ। एक जादूगर ने मुझे बोतल में बंद कर दिया था। परंतु अब मैं आजाद हूँ। मुझे बहुत भूख लगी है, इसलिए अब मैं तुम्हें खाऊँगा।", जिन्न ने गरज कर कहा।
"मैं तुम्हारा विश्वास नहीं कर सकता। तुम तो आकार में इतने विशालकाय हो फिर तुम इतनी छोटी-सी बोतल में कैसे आ सकते हो?", बालक ने तर्क दिया।
"क्यों नहीं? मैं तुम्हें अभी, इसी समय यह सिद्ध करके दिखा सकता हूँ।", ऐसा कहकर जिन्न फिर से बोतल के अंदर चला गया। बिना समय गंवाए चतुर बालक ने बोतल पर ढक्कन लगा दिया जिसके कारण जिन्न बोतल में बंद हो गया। यह देखकर जिन्न ने बालक से कहा, "कृपया मुझे बोतल से बाहर आने दो। मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा।"
"मैं तुम पर भरोसा नहीं कर सकता। मैंने तुम्हारी जान बचाई और तुम मुझे ही खाने चले थे।" बालक गुस्से से चिल्लाया।
जिन्न दोबारा बोतल में बंद होने से भयभीत हो गया। वह बालक के आगे गिड़गिड़ाने लगा। पर बालक नहीं माना। तब जिन्न ने बालक को वचन देते हुए कहा, "मैं तुम्हें छुऊँगा तक नहीं, बल्कि मैं तुम्हें एक जादुई पत्थर दूँगा, जिससे तुम किसी के भी घाव को पल भर में ठीक कर सकोगे और उसके छुने भर से तुम किसी भी वस्तु को सोने की वस्तु में बदल सकोगे।"
बालक को जब जिन्न की बात पर विश्वास हो गया तो उसने जिन्न को बोतल से मुक्त कर दिया। जिन्न ने अपने वादे के अनुसार बालक को जादुई पत्थर दिया। इस जादुई पत्थर द्वारा वह बालक शीघ्र ही एक प्रसिद्ध धनवान व्यक्ति बन गया।
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