हर बात में छिपी है अच्छाई 
Har Baat Mein Chipi Hai Acchai



किसी समय एक राज्य पर एक राजा शासन करता था। उसका प्रधानमंत्री बड़ा बुद्धिमान था। राजा राज-काज के कार्यों में प्रधानमंत्री से सलाह-मशविरा अवश्य लिया करता था। एक दिन राजा तलवारबाजी का अभ्यास कर रहा था। उस वक्त उसका प्रधानमंत्री भी वहीं उपस्थित था। तभी एक सैनिक के आने से राजा का ध्यान बँटा और तलवार से उसकी एक अँगली कट गई। वह दर्द से चिल्ला उठा। प्रधानमंत्री ने आगे बढ़कर कहा, "महाराज ! धैर्य रखिए। जो होता है, अच्छे के लिए होता है। इसमें भी अवश्य कोई न कोई अच्छाई छुपी हुई होगी।" 

यह सुनकर राजा की त्योरियाँ चढ़ गईं। वह गुस्से से चिल्लाते हुए बोला, "मेरी अंगुली कटने में तुम्हें अच्छाई दिखाई दे रही है। तुम जैसे बदजुबान को सजा मिलनी चाहिए।" और फिर राजा ने प्रधानमंत्री को कारागार में डलवा दिया। 

इस घटना के कुछ समय बाद राजा अपने नवनियुक्त प्रधानमंत्री और कुछ सैनिकों के साथ वन में शिकार करने गया। वन में उन्हें एक कबीलेवालों ने पकड़ लिया। कबीलेवासी अपने ईष्ट देव को खुश करने के लिए किसी इंसान की बलि देना चाहते थे। उन्होंने राजा की बलि चढाने के लिए उसे अपने सरदार के सामने पेश किया। सरदार ने बलि चढ़ाने से पूर्व राजा का परीक्षण करने को कहा। कबीले वालों ने जब परीक्षण किया तो राजा के हाथ की अंगुली कटी हुई देखी। उन्होंने यह बात सरदार को बताई तो सरदार ने उसे छोड़ने का आदेश दे दिया। क्योंकि उन्हें बलि के लिए एक स्वस्थ मनुष्य चाहिए था। नवनियुक्त प्रधानमंत्री बलि देने के लिए एकदम ठीक था, अत: उसकी बलि चढ़ाई गई। राजा अपने सैनिकों के साथ लौट आया। 

उसने अपने सैनिकों को कारागार में बंद प्रधानमंत्री को तुरंत मुक्त कर अपने सामने उपस्थित करने को कहा। प्रधानमंत्री को लाया गया। राजा उससे बोला, "तुमने एकदम सही कहा था कि जो होता है, अच्छे के लिए होता है। अंगुली कटने के कारण ही आज मेरी जान बच सकी है।" यह कहकर राजा ने उसे वन में घटी पूरी घटना सुना दी। 

राजा की बात सुनकर प्रधानमंत्री मुस्कुरा दिया और बोला, "महाराज ! जो होता है, अच्छे के लिए होता है।" 

राजा ने उसे फिर से अपना प्रधानमंत्री बना दिया।

शिक्षाः हर काम के पीछे अच्छाई छिपी होती है।