चरित्र-आचरण
Character and Conduct



मूर्खता सदा कष्टदायक ही होती है। इसी तरह जवानी से भी कभी सुख की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। इन दोनों से भी अधिक कष्टदायक होता है किसी दूसरे के घर में निवास करना और किसी पर आश्रित होना।

चाणक्य


अपने पद या स्थान पर इठलाना, अपने को उससे नीचे दिखलाना है।

स्टर्न


प्रसन्नता तो चंदन हैदूसरे के माथे पर लगाइए तो आपकी अंगुलियां अपनेआप महक उठेगी।

अज्ञात


गुणों का विकास एकांत में होता है और चरित्र का निर्माण संसार के भीषण कोलाहल में होता है।

गेटे


उत्तम चरित्र ही निर्धन का धन है।

अज्ञात


यदि तुम अपनी आय से कम में निर्वाह कर सकते हो तो निश्चय जानो कि तुम्हारे पास पारस पत्थर है।

महात्मा गांधी


ईमानदारी से किया गया परिश्रम सफलता को और समीप ला देता है।

अज्ञात


दुःखी पर दया दिखाना मानवोचित है उसके दुःख का निवारण करना देवोचित है।

होरेस


उपदेश वाणी से नहीं आचरण से करो।

अज्ञात


खुशी को हम जितना लुटाएंगे उतनी ही वह बढ़ेगी।

विकटर ह्यूगो