चरित्र-आचरण
Character and Conduct



फूल खिलने दो, मधुमक्खियां अपनेआप उसके पास आ जाएंगी। चरित्रवान बनो, जगत अपनेआप मुग्ध हो जाएगा।

रामकृष्ण परमहंस


ऊंचा आदर्श क्षुद्र, स्वार्थी और मूढ़ग्राहों को भुलावा देता है।

संपूर्णानंद


महान आदर्श महान मस्तिष्क का निर्माण करते हैं।

इमन्स


जो पुरुष अपने सुख में प्रसन्न नहीं होता दूसरे के दुःख में प्रसन्न नहीं होता और दान देने के बाद संताप नहीं करता है, उसे ही उत्तम पुरुष की संज्ञा दी गई है।

महात्मा विदुर


धोखाधड़ी करने वालों को अंत में पछताने और शर्मिंदा होने के अलावा कुछ हाथ नहीं आता है।

जी बेली


जो जान गया है कि उससे गलती हो गई है और फिर भी वह उसे नहीं सुधारता है तो वह एक और गलती कर रहा है।

कन्फ्यूशियस


अगर किसी दस्तावेज पर अंकित वायदे नहीं निभाए जाते हैं तो उस दस्तावेज का कोई मूल्य नहीं है। उसे फाड़कर फेंक देना चाहिए।

महात्मा गांधी


अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ और अपनी शारीरिक व मानसिक शक्ति उसमें लगा दो।

कार्लाइल


शब्द के द्वारा मन पर विजय पाई जाती है और व्यक्ति मोक्ष पाता है तथा गृहस्थ सुखलाभ।

गुरु नानक देव


फल आने पर पक्षी विनम्र हो जाते हैं और जल से मेघ धरती पर लटक आते हैं, सज्जन समृद्धि से विनम्र हो जाते हैं—यही परोपकारियों का स्वभाव है।

भर्तृहरि