नैतिकता
Ethics
यह भ्रम है कि अपनी उन्नति दूस रों को दबाने से की जा सकती है।
राजेश मेहता
जहां पवित्रता है, वहीं निर्भयता हो सकती है।
महात्मा गांधी
जिस प्रकार मधु में फंस जाने पर मक्खी अपनी टांगें धीरेधीरे परतु दृढ़तापूर्वक मधु से मुक्त कर लेती है उसी प्रकार व्यक्तियों, नामरूपों की आसक्ति का एकएक कण हमें अपने से दूर करना होगा।
स्वामी रामतीर्थ
मनुष्य की दुर्भावना उसके शत्रु की अपेक्षा उसे ही अधिक दुःख देती है।
चाल्र्स बक्सटन
मनुष्य को
भगवान बुद्ध
नीति, विवेक और चातुर्य हमारे जीवन के अभिन्न अंग होने चाहिए।
लिंकन
दुष्ट को उपकार से नहीं, अपकार से शांत करना चाहिए।
कालीदार।
जिस दुष्ट का अंतःकरण कामवासना आदि मलों से भरा हुआ है, ऐसा मनुष्य बिल्कुल वैसे ही सैकड़ों बार भी तीर्थस्नान करे तो भी वह पवित्र नहीं हो सकता, जिस प्रकार शराब रखने का वर्तन आग पर जलाने से भी शुद्ध नहीं होता है।
चाणक्य
अपने सिद्धांतों के लिए लड़ना आसान है पर उनका खुद पालन करना कठिन है।
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