नीति
Niti



उपयुक्त स्थान पर बना हुआ आवास, निस्तब्ध मन, पुण्यात्माओं का संसर्ग, शासन में सुव्यवस्था, कार्य में कुशलता ही श्रेष्ठ मानी जाती है।

लाओत्से


जो बांटते हैं उनकी मिठास सराही जाती है। जो समेटते हैं वे बड़े होने पर भी भत्र्सना सहते हैं।

पं. श्रीराम शर्मा आचार्य


पांव में एक कांटा गड़ जाए तो उसे दूसरे कांटे से निकालना होता है। किंतु कांटे के निकल जाने पर तो दोनों कांटों को फेंक ही देना चाहिए।

रामधारी सिंह दिनकर


हानिकारक वस्तुओं को नहीं रहने देना चाहिए, चाहे उनसे तत्काल कोई नुकसान न भी होता हो।

मैक्सिम गोर्की


अपनी मान्यताओं को सर्वश्रेष्ठ मानकर किसी की निंदा और आलोचना । नहीं करनी चाहिए।

अज्ञात


हर किसी की निंदा भले ही सुन लो, पर अपना फैसला गुप्त रखो।।

अज्ञात


जो वर्तमान की उपेक्षा करता है वह अपना सब कुछ खो देता है।

अज्ञात


स्वार्थ का अंत होते ही, क्लेश का भी अंत समीप होता है।

अज्ञात


इस संसार में कमजोर रहना सबसे बड़ा अपराध है।

अज्ञात


आत्मगौरव के साथ जीने में ही जिंदगी का सच्चा आनंद है।

अज्ञात