स्वामी विवेकानन्द 
Swami Vivekananda



भारत ने अनेक महापुरूषों को जन्म दिया है। स्वामी विवेकानन्द उनमें से एक थे। वे एक परम देशभक्त, ज्ञानी, संन्यासी, ऋषि और धार्मिक नेता थे। उन्होंने भारत का नाम सारे संसार में फैलाया, उसे गौरव और ख्याति दिलवाई। 

स्वामी विवेकानन्द स्वामी रामकृष्णा परमहंस के प्रमुख शिष्य थे। उन्हीं की देख-रेख में विवेकानन्द ने अध्यातम में नई नई ऊँचायाँ प्राप्त की। अपने गुरू के मृत्यु के पश्चात् विवेकानन्द ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। 

यह संस्था आज भी देश और विदेश में बड़ा प्रशंसनीय कार्य कर रही है। विवेकानन्द सन् 1893 में अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में गये और ऐसा भाषण दिया कि सब आश्चर्यकित रह गये। हजारों नर नारी तुरंत उनके शिष्य बन गए। सारे विश्व में भारत की बड़ी प्रशंसा होने लगी। 

विवेकानन्द के बचपन का नाम नरेन्द्र था। इनका जन्म 12 जनवरी, 1863 ई. को कोलकाता शहर में हुआ था। इनके पिता विश्वनाथ दत नगर के जाने माने व्यक्ति थे। इनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक स्वभाव की महिला थी। माता पिता का गहरा प्रभाव नरेन्द्रनाथ पर पड़ा। 

शिक्षा समाप्त होने पर नरेन्द्रनाथ की आध्यात्मिक रूचि बढ़ने लगी। वे ब्रा समाज के सदस्य बन गये। परन्तु स्वामी रामकृष्ण के पास आकर ही उन्हें सच्ची शांति और आत्म ज्ञान मिला। 

विवेकानन्द कहते थे कि भारत में ज्ञान प्राप्ति हेतु अध्यन करने के लिए 7 जन्म भी लेने पड़े तो भी कम क्योंकि यहाँ ज्ञान का अथाह सागर है। 

विवेकानन्द ने अनेक धार्मिक ग्रंथ लिखे है। आज भी ये सभी बहुत उपयोगी है। हमें इन ग्रंथों को पढ़ना चाहिए और उनकी शिक्षा पर चलना चाहिए। विवेकानन्द भारत के एक महान ज्योति स्तंभ थे।