हमारे देश के त्यौहार
Hamare Desh Ke Tyohar
हमारा देश भारत विविध संस्क्रति का अनुपम राष्ट्र है। यहाँ पर संस्क्रति की जो स्वच्छन्दता दिखाई देती है वह विश्व पटल पर अन्यत्र दुर्लभ है।
हमारे देश में पर्वो और त्यौहार का ज्वार आये दिन उमड़ता ही रहता है। कोई भी ऐसा दिन नही होता है जो किसी तिथि, पर्व या त्योहार का दिन न हो। हमारे इन पर्वो तिथियों और त्योहारों से हमारी सांस्कृतिक एकता की तरंगे उछलती कूदती और उमड़ती हुई हमारे देश के कण-कण को स्नेह सुधा से सिंचित करती चलती है।
देश का चाहे उतरी भाग या दक्षिणी पूर्वी हो या पश्चिमी अथवा हृदयस्थल ही क्यों न हो सभी को संजीवनी प्रदान करने वाले हमारे विथि त्योहार और पर्व ही है। जिस प्रकार से हमारे देश जातीय भिन्नता और भौगोलिक असमानता है उसी प्रकार से हमारे यहाँ सम्पन्न होने वाले त्यौहारो की एकरूपता नही है।
कोई इतना बहुत बड़ा त्यौहार है कि उसे पूरा देश खुशी से गले लगाता है तो कोई इतना छोटा है कि वह केवल सीमित स्थान में ही जनप्रिय होता है। होली, दशहरा, दीवाली जहाँ व्यापक रूप से पूरे देश में बड़े धूम धम के साथ मनाये जाते है वहीं क्षेत्रिय त्यौहारो जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार का छट त्यौहार, तमिलनाडु का पोंगल, पंजाब की बैसाखी आदि है। हमारे देश के त्यौहारों का आगमन या आयोजन ऋतु चक्र से होता हुआ हमारी सांस्कृति चेतना का जीवंत प्रतिनिधि के रूप में है जिससे हमारी सामाजिक ओर राष्ट्रीय मान्यताएँ झाँकती हुई दिखाई देती है, हम क्या है और हमारी अवधारणाएँ क्या है हम दूसरों की अपेक्षा क्या है या हम दूसरों को क्या समझते है। इन सभी प्रश्नों का उत्तर और स्पष्टीकरण इन त्यौहारों के माध्यम से होता है। अतएव हमें अपने यहाँ सम्पन्न होने वाले त्यौहारों का यथोचित उल्लेख करना आवश्यक प्रतीत होता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार राखी, रखड़ी, सलोनी कई नामों से चर्चित है जो वर्षाऋतु की श्रावण पूर्णिमा के दिन श्रद्वा, विश्वास और प्रेम के त्रिकोण से प्रकट होता है। प्राचीन काल से इसके प्रति अनेक धारणाएं रही है लेकिन आधुनिक इस त्यौहार का खुला और सच्चा रूप भाई-बहन के परस्पर स्नेह ओर मंगल भावनाओं के द्वारा सामने आता है। पूरे देश में यह हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
विजय का प्रेरक और दृढ़ संकल्प का प्रतीक दशहरा का त्यौहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को अन्याय और अत्याचार के विरूद्व लड़ने का पाठ पढ़ाता हुआ श्री राम द्वारा रावण पर विजय के रूप में सम्पूर्ण देश में व्यापक ढंग से मनाया जाता है। राष्ट्रीय स्वर पर निष्ठा और श्रद्वा के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। होली का त्यौहार चैतमास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को वसंत ऋतु की मधुरबेला में राधा कृष्ण और गोपियों की होली का हुड़दंग और रसाचार हमको ललचाता ही नही और तरसाता है अपितु अपनी आप बीती कहानी भी हमें इसकी मधुरता को याद दिलाने लगती है। अतः इन राष्ट्रीय स्तर के त्यौहारों का आगमन इनकी सम्पन्नता और इनके प्रभाव हमारे जीवन के बहु आयामी विकास के सोपानों की ओर ले जाने में अत्यन्त अपेक्षित दिखाई पड़ते है। दूसरे शब्दों में हम यों कह सकते है कि इन देशव्यापी त्योहारों का प्रभाव हमारी जीवनचर्या को किन्हीं न किन्हीं रूपों में प्रभावित करते है।
राष्ट्रीय स्तर पर मनाये जाने वाले अल्पसंख्यक वर्ग मुस्लिम त्यौहारों में ईद मुहर्रम और क्रिसमस का त्यौहार भी बड़ी धूम धाम से हमें परस्पर मेल मिलाप और बन्धुत्व का गान सुनाते है।
इस अर्थ में इन त्यौहारों का महत्व अधिक बढ़ जाता है कि ये अल्पसंख्यक वर्ग द्वारा ही नही सम्पन्न किए जाते है अपितु सभी समुदाय और जाति के लोग इन्हें अपना त्यौहार मानकर इनमें दक्षिणी भारत में तमिलनाडु का स्थानीय त्यौहार पोंगल जनवरी माह में सम्पन्न होने वाला फसलों के कटने के उपलक्ष से मनाया जाता है।
केरल का ओनम त्यौहार भी शस्यश्यामला भूमि पर श्रावण मास में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। उडीसा में रथयात्रा का उत्सव श्री जगन्नथ जी के प्रति श्रद्वा और विश्वास को बनाए रखने वाला त्यौहार है।
बिहार में शिवभक्तों द्वारा सम्पन्न होने वाला उत्सव बैजनाथ धाम की सुखद यात्रा से सम्बद्व है। पंजाब का बैसाखी का आनन्द और मस्तीभरा भाँगड़ा नृत्य गान वाला त्यौहार जहाँ एक ओंर उत्साह ओर स्वच्छन्दता का परिचय देता है वहीं राजस्थान का गणगौर ओर हरियाली तीज का त्यौहार तथा महाराष्ट्र मे गणेश उत्सव श्रद्वा और उल्लास का सूचक है।
गुरू नानक तथा खालसा पंथ के प्रवर्तक गुरू गोबिन्द सिंह के जन्म दिवस की याद में मनाये जाने वाला सिक्ख समुदाय का महान् पर्व है। यही नही सिक्खों महान् धर्म संस्थापको और गुरूओं के जन्म तथा पुण्य तिथियों को भी विशेष त्यौहार के रूप में आयोजित करके प्रेम उमगमयी भावनाओं को प्रस्तुत करने का अनोखा ढंग दिखाई देता है।
जैन धर्म के महत्वपूर्ण और जनप्रिय त्यौहार में महावीर जयंती उल्लेखनीय है। महावीर जयंती की तरह महावीर पुण्य तिथि का त्यौहार भी विशेष रूप से मनाया जाता है।
इसी प्रकार बौद्ध धर्म के अनुप्रायियों द्वारा बुद्ध जयंती और बुद्ध पूर्णिमा के साथ बुद्ध निर्वाण दिवस भी अन्य त्यौहारों सा हमें ज्ञान और उत्साह की प्रेरणा देता है। संक्षेपतः हमारे देश के सभी त्यौहार एक साथ सौहार्द सहिष्णुता एक सूत्रता एकात्मकता और राष्ट्रीयता के साथ मानवता का सुखद संदेश देते हुए हमें और अधिक सभ्य और संस्कृतिवान बनाने के लिए समार्ग दिखाते है।
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