धन 
Dhan



धन या तो स्वामी की सेवा करता है या उस पर शासन।।

होरेस


धनवान कौन है? जिसे संतोष है।

शेख सादी


धर्म खुद बहुत शक्तिशाली है, पर धन के बिना धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं किए जा सकते। इसलिए कहा जाता है कि धन से धर्म की रक्षा होती

चाणक्य


जहां धन ही परमेश्वर है वहां सच्चे परमेश्वर को कोई नहीं पूजता।।

स्वामी रामतीर्थ


धनहीन होने और दरिद्र होने में अंतर है। धनहीन व्यक्ति श्रीमान हो सकता है और धनवान दरिद्र। क्योंकि दरिद्र तो वह है जिसकी तृष्णा विशाल है, और जिसकी भूख शांत नहीं होती।

आदि शंकराचार्य


अधिक धनी होने पर भी जो असंतुष्ट रहता है, वह सदा निर्धन है। धन से रहित होने पर भी जो संतुष्ट है, वह सदा धनी है।

अश्वघोष


धनसंग्रह की अपेक्षा तपस्या का संग्रह श्रेष्ठ है।

वेदव्यास


प्रसन्नता में योगदान देने वाली वस्तुओं में स्वास्थ्य से बढ़कर और धन से घटकर कुछ नहीं।

शॉपेन हावर


धन की जीवन में जरूरत हैजैसे पित्त की स्वास्थ्य के लिए, पर धन के प्रभाव में मदहोश नहीं होना चाहिए।

साईं बाबा


दुनिया में धन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चीज है। यह सेहत, ताकत, सम्मान, उदारता और सौंदर्य का प्रतिनिधित्व करता है।

बर्नार्ड शॉ