न्याय
Justice
गिराने वाला इंसान खुद है। भारी से भारी ताकत इंसान को नीचे नहीं गिरा सकती, इंसाफ को नीचे
महात्मा गांधी
जिसे हम फांसी लगाते हैं, उसे सुधारना हमारा उद्देश्य नहीं होता है, उसके द्वारा हम दूसरों को सुधारते तथा चेतावनी देते हैं।
माटेन
इंसाफ जरूर हो, चाहे आसमान ही क्यूं न फट पड़े।
मुहम्मद शाह
देर से किया गया न्याय अन्याय के समान है।
लेंडर
दूसरे पक्ष की बात सुने बगैर भले ही सही फैसला दिया जाए, लेकिन उसे न्याय नहीं कहा जाएगा।
लुसियस सेनेका
अपनी भूल को स्वीकार करने में जो गौरव है, वह अन्याय को चिरायु रखने में नहीं।
प्रेमचंद
एक भी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने और उसके साथ अन्याय करने वाले कानून को बदल देना चाहिए।
लाला लाजपतराय
सहनशील होना अच्छी बात है, परंतु अन्याय का विरोध करना उससे भी उत्तम है।
जयशंकर प्रसाद
पहले हम विश्वास करें कि न्याय में ही शति है। फिर इस विश्वास के आधार पर अंत तक अपने कर्तव्य का निवास करें।
लिंकन
अगर अन्याय नहीं होता तो शायद मनुष्य न्याय के महत्व को नहीं समझ पाता।
हेराक्टिस
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