परिश्रम 
Parishram



कर्महीन अत्यधिक अध्ययन मनुष्य को मिटा डालता है।

बाइबिल


मनुष्य का निर्माण भाग्य नहीं, पुरुषार्थ करता है। गौरव परिश्रम का अनुगामी है। काम आत्मा के लिए रसायन का काम करता है। श्रम ही मनुष्य की आत्मा है।

स्वामी कृष्णानंद


किसी अड़चन से हताश न होकर, आत्मविश्वास न खोकर, अनवरत कार्यरत रहना ही तुम्हारा कर्तव्य है, अगर यह किया तो उसके सुंदर फल दिनदिन बढ़ते हुए परिमाण में तुम्हारी सेवा में हाजिर रहेंगे।

स्वामी विवेकानंद


अकर्मण्यता से जीवन से यशस्वी जीवन और यशस्वी मृत्यु अधिक अच्छी है।

सर सी.वी. रमन


इस संसार में वही व्यक्ति सफल होते हैं जो परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना लेते हैं और यदि वे नहीं बना सकते तो अपने अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर लेते हैं।

बर्नार्ड शॉ



अभ्यास की दृष्टि हो तो साधन काम आते हैं। अभ्यास की दृष्टि न रही तो उत्तम साधन भी निकम्मे हो जाते हैं।

विनोबा भावे


प्रतिज्ञाहीन जीवन बिना नींव का घर है। प्रतिज्ञा के बल पर ही संसार टिका हुआ है। प्रतिज्ञा न लेने का अर्थ अनिश्चित या डांवाडोल रहना है।

महात्मा गांधी


मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं है, परिस्थितियां मनुष्य की दास हैं।

डिजरायली


प्रतिभा महान् कार्यों को प्रारंभ करती है, किंतु परिश्रम उसे समाप्त करता है।

जोवरी


संसार इस बात की चिंता नहीं करता कि हमने यहां रहकर क्या कहा, पर वीरों ने जो काम किए, उसे वह कभी नहीं भूलता।

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