जीवन-मृत्यु 
Jeevan-Mrityu




मृत्यु अमरता का प्रासाद खोलने की सुनहरी चाबी है।

मिल्टन


जीवन का मौत से उतना ही करीबी रिश्ता है जितना जन्म का।।

रवींद्रनाथ ठाकुर


स्पर्द्धा ही जीवन है, उसमें पीछे न रहना ही जीवन की प्रगति का प्रतीक

निराला


खाने और सोने का समय जीवन नहीं है और जीवन नाम है सदैव आगे बढ़ने की लगन का।

मुंशी प्रेमचंद


जीवन रोने के लिए नहीं है, जीने के लिए तो हँसना ही चाहिए। रोना पाप है, क्यों कोई रोए। जीवन का प्रवाह जैसे बहता है, बहने देना चाहिए।

पं. सिद्धिविनायक


जीवन की उसकी पूर्णता में जान लेना ही मनुष्य का अंतिम चरम लक्ष्य और परम उद्देश्य है।

आचार्य रजनीश


मृत्यु एक परदा है जिसे जीवित रहने वाले जीवन कहते हैं। उनके सोते ही परदा गिर जाता है।

पी.सी. शैली


जीवों की मृत्य निश्चित है और मृतकों का जन्म भी तय है, इसलिए होनी पर शोक नहीं करना चाहिए।

भगवद्गीता


मृत्यु थकावट के समान है, लेकिन वास्तविक अंत तो अनंत की गोद में ही है।


रवींद्रनाथ ठाकुर 


जीवन हर व्यक्ति को प्रिय है, लेकिन संम्मान तो जीवन से अधिक मूल्यवान है।

शेक्सपीयर


उद्देश्य ही जीवन को सार्थक बनाता है, ठीक वैसे ही जैसे ऋतुओं की चेतना प्रकृति में रंगबिरंगी छटा बिखेर देती है।

अज्ञात


जीवन का उद्देश्य यही जानना है कि हम कौन हैं और कहां जा रहे हैं, ठीक वैसे ही जैसे ऊषाकाल में चमकते हुए पर्वत प्रकट होते हैं।

अज्ञात