त्याग 
Tyag



संसार में सबसे बड़े अधिकार सेवा और त्याग से मिलते हैं।

प्रेमचंद 


त्याग के समान कोई सुख नहीं है।

महाभारत


अहंकारपूर्ण जीवन को छोड़ देना ही त्याग है, और वही सौंदर्य है।

स्वामी रामतीर्थ


त्याग ही आध्यात्मिकता का प्रथम सोपान है।

स्वामी विवेकानंद


प्राणी कर्म का त्याग नहीं कर सकता, कर्मफल का त्याग ही त्याग है।

भगवद्गीता


यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं।

प्रेमचंद


आत्मत्याग से आप दूसरों को बिना संकोच के त्याग करने के लिए प्रेरित

करते हैं।

बर्नार्ड शॉ


त्याग से पाप का मूलधन चुकता है और दान से पाप का ब्याज।।

विनोबा भावे


आत्मबलिदान में कितना सुख होता है, यह आत्मबलिदान करने वाला ही जानता है।

भगवतीचरण वर्मा


योग से आत्मा का शोषण होता है, त्याग से आत्मा को पोषण मिलता है।

विनोबा भावे


त्याग का अर्थ है अपना सर्वस्व सत्य को अर्पण करना।

स्वामी रामतीर्थ


जिसका मन काम में लिप्त नहीं है, जो घृणा से प्रभावित नहीं है, जिसने शुभ और अशुभ दोनों का परित्याग किया है, ऐसे जागरूक व्यक्ति को कोई भय नहीं होता।

भगवान बुद्ध