परिश्रम 
Parishram



ईमानदारी से किया गया परिश्रम सफलता को और समीप ला देता है।

अज्ञात


जिस प्रकार कोई व्यक्ति पेड़ पर चढ़ते समय स्वतंत्र होता है, किंतु गिरते समय शक्तिहीन हो जाता है, इसी प्रकार कर्मों के संचयन के समय आत्मा स्वतंत्र होती है, किंतु जब कर्म पक जाते हैं, तो वह असहाय बन जाती

भगवान महावीर


जिसके पास धीरज है, जो मेहनत से नहीं घबराता, कामयाबी उसकी चेरी

अज्ञात


जीव अपने पुरुषार्थ के कारण ही पुरुष कहलाता है।

योग वासिष्ठ


सफलता तो तभी मिलती है जब आप अपनी कल्पना के ढांचे में कर्म का रंग भी भरें।

स्वेट मार्डेन


प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असंभव नजर आता है।

कार्लाइल